Avanti Srivastav
20 Nov, 2020
दौड़ या संतुष्टि
निलेश ऑफिस से लौटा तो नन्हे बिट्टू ने कहा " पापा चलो ना ! मेरे साथ बॉल खेलो" नहीं !नहीं !अभी ऑफिस का काम करना है और लैपटॉप खोल उस में घुस गया।इधर रिचा भी खाना लगा इंतज़ार करने लगी मगर ....वह फिर जरूरी फाइल में उलझ गया कि सहसा उसे महसूस हुआ की वह दौड़े जा रहा है गाजर रूपी, कभी बड़ी गाड़ी के लिए, कभी बड़े बंगले के लिए मगर इस गला काट स्पर्धा में खुद ही खर्च हुआ जा रहा है ...इस से तो जो है उसी में संतुष्ट हो जीवन का आनंद ले ,बस उसने लैपटॉप परे कर बाॅल बिट्टू की तरफ उछाल दी।
Paperwiff
by avantisrivastav
20 Nov, 2020
जीवन का आनंद
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