Kashish Attri
07 Jun, 2021
मंज़िल
🤔थोड़ी अलग हूँ सबसे,
थोड़ी अजीब हूँ मैं।
मैं लकीर हूँ अपने हाथों की,
अपना नसीब हूँ मैं ।🤞
😔हारकर या थककर सफ़र से बैठूंगी नहीं●●●●●●
😐हारकर या थककर सफ़र से बैठूंगी नहीं
क्योंकि अपनी मंज़िल के काफी करीब हूँ मैं।🥰
Paperwiff
by attrikshish09
07 Jun, 2021
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