Kashish Attri
Kashish Attri 07 Jun, 2021
मंज़िल
🤔थोड़ी अलग हूँ सबसे, थोड़ी अजीब हूँ मैं। मैं लकीर हूँ अपने हाथों की, अपना नसीब हूँ मैं ।🤞 😔हारकर या थककर सफ़र से बैठूंगी नहीं●●●●●● 😐हारकर या थककर सफ़र से बैठूंगी नहीं क्योंकि अपनी मंज़िल के काफी करीब हूँ मैं।🥰

Paperwiff

by attrikshish09

07 Jun, 2021

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    hey follow me on Instagram @poetry_by_charu

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