इस समय महामारी के मद्देनजर देश के आम लोगों के लिए भूखमरी से बचाने के लिए व्यापक पैमाने पर केन्द्र सरकार द्वारा अनाज राज्य सरकारों को दी जा रही है।जाहिर है बैंक सिस्टम नही होने से बंदरबांट होना ही है । सरकार को चाहिए कि जन धन खाते वालों के लिए टोकन सिस्टम जारी कर अनाज वितरण कराये ताकि जन धन की तर्ज पर सीधे जरूरत मंदो को अनाज मिल सके और विचौलियों और जमाखोरों के बढ़ते प्रकोप को रोका जा सके।आज कागजी स्थिति और जमीनी स्थिति में बहुत फर्क है। राशन को लेकर गाँव से लेकर ब्लाॅक और फिर जिला कार्यालय का दौड़ बदस्तूर जारी है । आज भी लाखो लोग पिछले चार महीनों से सरकारी सहायता को मोहताज हैं।इस विकट परिस्थिति में भी विचौलिये कागज की हेराफेरी में सरकार के चाहते हुए भी लोग सहायता से मरहूम रह जाए तो सिस्टम बदलने की जरूरत पड़ती ही है ।यह पुरानी और खोखली हो चुकी जनवितरण प्रणाली में अब इंसानियत दम तोड़ता नजर आ रहा है।जैसे जन धन खाते से पैसे पहूँच रहे है वैसे ही अनाज की भी व्यवस्था भारत सरकार को करनी चाहिए ।इसका एक विकल्प हो सकता है बैंक अनाज का टोकन जारी करे इससे कम से कम जन धन खाते वालो तक सीधे अनाज पहुँचेगी और वो दी जाने वाली सहायता का लाभ बिना दौड़ भाग के उठा सकेंगे ।
अनाज बैंक होने से राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान की जरूरत नहीं होगी जनता बैंक से सीधे टोकन निकाल जनवितरण में जाकर वे लाभ ले सकें । अगर ऐसा होता है तो यह एक आसान व त्वरित प्रक्रिया हो सकती है। जिसका लेखा जोखा बैंक रख सकता है और अनाज आवंटन में विचौलियो की भूमिका नगण्य हो सकती है ।जब तक कोरोना महामारी है तब तक के लिए सरकारों को इस सिस्टम पर ध्यान पूर्वक विचार करना चाहिए क्योंकि यह आम लोगों से जुड़ा मसला है ।भूख की प्रचंड लीला में जूझते कई ऐसे परिवार हैं जो लगातार आशा भरी नजरो से सरकार की ओर अभी भी देख रहे हैं ।
यह एक विषम परिस्थिति है और इस काल में एक भी आदमी तक यह राशन नहीं पहुँचता है तो यह सरकार और आवाम के बीच बढ़ती दूरी को प्रदर्शित करेगा बल्कि पर्याप्त गूस्सा भी भर देगा।
आशुतोष
पटना बिहार
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