कैसे तुमको बताऊं मैं

कैसे तुमको बताऊं मैं

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Ashmita Vats
Ashmita Vats 01 Jan, 1970 | 1 min read

कैसे तुमको बताऊँ मैं, तुम मेरे लिए क्या हो,

तुम मेरे आस हो ,तुम मेरे विश्वास हो।

तुम हो तो सब कुछ है, तुझ बिन मैं कुछ भी नहीं।

कैसे तुमको बताऊँ मैं ,तुम मेरे लिए क्या हो।

ना किसी का डर है, ना किसी से आस है

ना किसी का विश्वास है,तेरे साथ हर दूरी लगती पास है

कैसे तुमको बताऊं मैं , तुम मेरे लिए क्या हो।

ना ही कोई गम है ,साथ में जब सनम है

ना हो कोई परेशानी, रहते हो जब दिलबर जानी,

कैसे तुमको बताऊं मैं ,तुम मेरे लिए क्या हो।

रहते हो जब नाराज तुम ,ना रात को आती नींद

ना दिन को आता चैन ,मेरे जीवन के सरताज हो

कैसे तुमको बताऊं मैं ,तुम मेरे लिए क्या हो।

भीड़ का कोई गम नहीं, तनहाइयाँ ही चुभती है

आँखे बंद करूँ तो वो, तुम्हें ही तो ढूंढती है।

अब मान भी जाओ, इतना ना सताओ,

कैसे तुमको बताऊँ मैं, तुम मेरे लिए क्या हो।

पास होते हो जब ,तुम्हारी कमियां ही दिखती है

दिन से रात तक मन , बस तुमसे ही चिढ़ती है

दूर जाते हो जब तुम, याद आते हो तब तुम

जब इतने ही नाराज हो, तब याद आते ही क्यों हो

कैसे तुमको बताऊं मैं , तुम मेरे लिए क्या हो।

कैसे तुमको बताऊं मैं, तुम मेरे लिए क्या हो।

अंधेरों रातों में तुम, रोशनी का एहसास हो,

दिन के उजालों में तुम, सूरज सा उल्लास हो।

ठंड के दिनों की धूप सी गर्माहट तुम,

गर्मी के दिनों की शीतल सी छांव तुम,

कैसे तुमको बताऊं मैं, तुम मेरे लिए क्या हो।

मेरे दिन की शुरुआत तेरे नाम से होती है

मेरे हर काम खत्म बस तेरे नाम से होती है

तू ही मेरी पूजा, तू ही इबादत

तू ही मेरा करमा, तू ही मेरा धरमा,

कैसे तुमको बताऊँ मैं,तुम मेरे लिए क्या हो।

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