ग़ज़ल (अंदाजे दीवाना नहीं जानता हूं)

अंदाजे दीवाना नहीं जानता हूं।

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ARUN SHUKLA Arjun
ARUN SHUKLA Arjun 09 Apr, 2021 | 1 min read

ग़ज़ल

अंदाज़-ए-दीवाना नहीं जानता हूं।

ना रूठो, मनाना नहीं जानता हूं।


हमेशा पलट कर मुझे देखने का,

वो किस्सा सुनाना नहीं जानता हूं।


गली ना मुहल्ला ना राहें पता हैं,

तेरा आशियाना नहीं जानता हूं।


दिल के फसाने ज़ुबां तक तो लाओ,

मै ख़ुद से जताना नहीं जानता हूं।


तुम्ही इक वज़ह हो मेरे आंसुओ की,

ये तुमसे बताना नहीं जानता हूं।


पता है तुम्हे सब मेरे दिल की बातें,

मै आंसू छिपाना नहीं जानता हूं। 


न बोला करो ग़म छिपाने को 'अर्जुन',

सब्र को बांध-पाना नहीं जानता हूं।


अरुण शुक्ल 'अर्जुन' 

 रत्यौरा करपिया, कोरांव,

 प्रयागराज

(पूर्णत: मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित)

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ARUN SHUKLA Arjun

arunshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत खूब

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    कृपया अन्य प्लेटफार्म से संबंधित तस्लीर पोस्ट के साथ संलग्न न करें।सादर✍️🙏

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा रचना

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