प्रभु का करना हो गर वंदन
या फिर अपनों का अभिवादन
जो मुख पर आए अनायास
वह पहली भाषा हिन्दी है
शिशु के होठों का पहला स्वर
जीवन का पहला हस्ताक्षर
जो सुना और सीखा हमने
वह पहली भाषा हिन्दी है
मन के भावों का मीत यही
माँ की लोरी का शब्द यही
जिसमें देती माँ शुभाशीष
वह पहली भाषा हिन्दी है
जिसमें हँसना रोना सीखा
मन की बातें करना सीखा
प्रेम की पहली वार्ता का
वह सुंंदर माध्यम हिन्दी है
निज भाषा यह,अभियान यही
अपनी तो है पहचान यही
रोटी की भाषा जो भी हो
दिल की भाषा बस हिन्दी है !
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌👌👌
बहुत सुंदर
प्यारी रचना👌👌
धन्यवाद @udit jain 😊
बहुत आभार @Kavita Singh 💞
स्नेहिल आभार प्रिय अनुज @Kumar Sandeep💞
हिंदी दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🙏
तुम्हें भी ढेरों शुभकामनाएँ मित्र... हमारा हर दिन हिन्दी दिवस है 💞💞
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