ज़िन्दगी की किताब लिखते हुए
अक्सर छूट जाते हैं कुछ कोरे पन्ने
समय साक्षी है कि इन्हीं पन्नों पर अक्सर
लिखी जाती हैं जीवन की सबसे अनमोल कविताएँ
ठीक वैसे जैसे धरती के सबसे अछूते हिस्से पर ही
खिलते हैं धरती के सबसे सुंंदर फूल
या फिर झमाझम बारिश के बाद
रूपहले शुभ्रनील आकाश पर
उग आता है एक सलोना सा इन्द्रधनुष
मन का भीगना भी दरअसल
उतना ही ज़रूरी है जितना कि
मन के एक हिस्से का कोरा रह जाना !
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह
शुक्रिया दोस्त
Please Login or Create a free account to comment.