"बहू,ये पतीला इतना काला कैसे हो गया?"अम्मा जी ने पूछा।
" वो मम्मी जी,जल गया था।" बहू ने संक्षिप्त उत्तर दिया।
"भला कैसे जल जाते हैं पतीले आजकल की बहुओं से? अरे पैंतीस साल हो गए रसोई बनाते, मजाल है जो आजतक एक भी बरतन जलाया हो?"
" फेंकने की भी हद होती है मम्मी जी " (मन ही मन विचारती बहू )
" मम्मी जी,मैंने नहीं, आपके बेटे ने जलाया है। "
" अच्छा, तो अब तू रवि से खाना भी बनवाने लगी है? "
" अरे नहीं मम्मी जी,मैं तो छत पर कपड़े फैलाने गई थी।उन्होंने जाने क्या जड़ी - बूटियाँ उबलने को चढ़ा दीं तेज आँच पर "
" तो तूने खुद ही क्यों नहीं दे दिया काढ़ा बनाकर उसे?"
" मम्मी जी, मुझे क्या पता था कि मेरे छत जाते ही वो रसोई को आयुर्वेद अनुसंधान केंद्र बना देंगे?"
" ये क्या बोल रही है तू अंग्रेजी में? सामान्य भाषा में बोल।"
" यही मम्मी जी कि मुझे मालूम नहीं था कि वो मेरे छत पर जाते ही काढ़ा बनाने लगेंगे।"
" लो ,आज बड़ी चौधराईन बन रही है जब पतीला मेरे बेटे से जला है।जैसे कि मैं नहीं जानती कि रसोई बनाने में तू कितनी अनाड़ी है?"
" मम्मी जी,आप सच जानते ही बेटे की साइड हो गईं?"
" चुप कर बेअदब कहीं की,हर बात का रेडीमेड जवाब है आजकल की लड़कियों के पास।एक हमारा जमाना था कि बड़े - बुजुर्गों के सामने जुबान नहीं खुलती थी हमारी ।" गुस्से से बड़बड़ाती अम्मा जी ने पूजाघर की ओर प्रस्थान किया।
" आपकी सासूजी की भी बिल्कुल यही राय रही होगी आपके बारे में " मन ही मन भुनभुनाती हुई बहूरानी ने रसोई की ओर प्रस्थान किया।
नोट : यह एक आम से घर में चल रही बेहद सामान्य वार्ता है।कृपया इसे राजनीतिक रंग न दें।धन्यवाद !
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
😊🤭👏👏👏
Mazzzaa aa gaya.. Aur haan Story ka naam he Mazedaar h
Thank you ma'am
Sonia ma'am, thank you so much
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