सलाख़

स्त्रियों पर होते अत्याचारों की करुण गाथा कहती रचना

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 04 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

माताओं की योनि में 

सलाखें घुसेड़ते ये राक्षस

भला किस योनि के हैं?

राहें वही हैं, सड़कें वही हैं

बुद्ध भी बराबर चर्चा में हैं

नहीं दिख रही तो इस 

वीभत्स कृत्य पर चर्चा

वो जीभें जो वस्त्रों की लंबाई से

नाप लेती हैं स्त्रियों के चरित्र की ऊंचाई

वह मुखवस्त्र लगे होठों के भीतर

चुपचाप बैठी हैं

महाभारत वाले देश,

बुद्ध की जगह शोकेस में नहीं

तुम्हारे हृदय में होनी चाहिए थी

और उस सलाख को तुम्हारे

हृदय के आर - पार होना चाहिए था!

©अर्चना आनंद भारती







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