समिधा

पुरुषों के निर्वाण का पथ हर युग में स्त्रियों की समाधि से होकर गुजरता रहा है... स्त्रियों के अभिशप्त जीवन पर लिखी मार्मिक कविता

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 04 Feb, 2021 | 1 min read
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राजकुमार सिद्धार्थ ने त्याग दिया 

अपनी सोती हुई पत्नी यशोधरा 

और उसके कोमल सुखस्वप्नों को

ताकि वो महात्मा बुद्ध बन सकें

आजीवन चुकाती रही यशोधरा

अपने अश्रुकणों से

उनकी अर्द्धांगिनी होने का ऋण

एक युगपुरुष जीवन भर 

उपेक्षा करता रहा अपनी 

सरल पतिव्रता पत्नी की

आगे जाकर वह कहलाया

पिता एक देश का

इधर मेरी पहचान के एक

बिगड़ैल आवारा युवक को

ब्याह दिया गया

एक भोली लड़की से 

ताकि वो सुधर सके

मैंने उस युवती का

छुप - छुपकर

बिलखना देखा 

सूनी अकेली रातों में

पुरुष के निर्वाण का पथ

हर युग में स्त्री की

कोमल भावनाओं की 

समाधि से होकर

गुजरता रहा है 

स्त्री हर कालखंड में

उसकी समिधा रही है !

©अर्चना आनंद भारती


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