" क्या आप अब भी बीयर नहीं पीते?"
"उहूँ, तुम्हें याद था?"
" हाँ "
" मगर हमने तो सालों से बात नहीं की?"
" की तो थी?"
"?"
" मुझे यकीन था कि हमारे बीच कोई अदृश्य डोर है जिसके बीचोंबीच ईश्वर है। मैं उससे कह देती थी और वो तुम्हें "
" तुम पागल हो क्या?"
" नहीं,प्रेम में हूँ!"
©अर्चना आनंद भारती
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