गुलज़ार ज़रा मुझसे कह दो !

विलक्षण कवि एवं शायर गुलज़ार साहब को उनके जन्मदिन पर मेरी सप्रेम भेंट ☘☘

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 18 Aug, 2020 | 0 mins read
#Inspiration #an ode to the maestro

गुलज़ार ज़रा मुझसे कह दो,ये नग़में जो तुम गढ़ते हो

किन आँखों से मन की भाषा इतने विस्तार से पढ़ते हो?


कुछ जागी रातों के किस्से, कुछ आँसू भरी शामल शामें

कुछ दर्द छुपे,अनजाने से जो रहते हमसब हैं थामे

किस तरह भला इन शब्दों को इतने आराम से कहते हो?


है स्याही भी, कलम भी है, है कागज़ भी, पर शब्द नहीं

हर शब्द कहीं खो जाता है, हम रह जाते निःशब्द कहीं

केवल स्याही ही होती है,या आँसू से भी गढ़ते हो?


ये शब्द तुम्हारे रहते हैं कितना अनुभव विस्तार लिए

उन अनकथ, कोमल भावों का कितना अनंत संसार लिए

जब हो जाता है मौन मुखर,उस सन्नाटे को पढ़ते हो?


जो किसी रोज़ हम मिल पाएं, तो तेरी कलम चुराऊँ मैं

कुछ अपनी बातें कह सुनकर, आराम से फिर सो जाऊँ मैं!


मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित

©अर्चना आनंद भारती


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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Neha Sharma · 4 years ago last edited 4 years ago

    बेहद उम्दा रचना 👌🏼👌🏼

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    मैम, हृदयतल से आभार

  • Kiran Tiwari · 4 years ago last edited 4 years ago

    बेहतरीन रचना ...शुभकामनाएं

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    हार्दिक आभार मैम

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautiful lines

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thanks a lot ma'am ❤

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