वैसे तो कहावत है कि 'रहिमन इस संसार में, भांति भांति के लोग' पर शादियों में वाकई भांति-भांति के लोग देखने को मिल जाते हैं।अक्सर आपने शादियों में देखा होगा लोगों को कहते हुए कि मैंने तो कुछ खाया ही नहीं तो ज़िक्र कुछ ऐसी ही मोहतरमा मिसेज हेल्थ कॉन्शस का।ये अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ ज़्यादा ही सचेत हैं तो इनसे पिछले दिनों एक शादी में मुलाकात हुई।इन्होंने बताया कि ये शादियों में ज़्यादा खाती नहीं।एक तो इन्हें वैसे ही तेल-मसाले उतने पसंद नहीं और शादियों में तो हलवाई हायजिन का भी ध्यान नहीं रखते।
ख़ैर,अरसे बाद हम मिले थे,सो गप्पें मारते-मारते शाम हो गई।मोहतरमा हेल्थ कॉन्शस भी थोड़ी भूख महसूस करने लगीं तो उन्होंने कहा कि चलो कुछ चखकर आते हैं।(हमने आपको बताया था ना कि इन्हें खाना पसंद नहीं)।तो पहले हम हायटी के स्टॉल पर गए।गोलगप्पे,पिज़्ज़ा,बर्गर,पास्ता,नूडल्स आदि चखते-चखते इनका गला सूखने लगा।फिर इन्होंने कहा कि थोड़ी कोल्ड ड्रिंक पी लें वरना खाना गले से नीचे नहीं उतरेगा।
खाना,ओह,अभी तो रात का खाना बाक़ी था। तो ये बारी-बारी से चीज़ें लेती गईं और थाली में एक ऊँचा सा ढेर लगा दिया।पूरी के बगल में रसगुल्ले,नीचे से सब्ज़ी का रसा बहा जा रहा था।चटनी और इमरती स्वाद की रौनक अलग बढ़ा रहे थे।फिर धीरे-धीरे इन्होंने चीज़ें चखनी शुरू कीं और ज़्यादा तो ये खाती नहीं,सो आधा खाकर,खाना स्वादिष्ट नहीं कहकर इन्होंने बाक़ी खाना डस्टबिन के हवाले कर दिया।हम भोजन की इस बरबादी पर मन मसोस कर रह गए।
अक्सर शादियों में हमें ऐसे लोग देखने को मिल जाते हैं जो आधे से अधिक भोजन फेंक देते हैं।क्या आप जानते हैं कि इस भोजन को आपकी थाली तक पहुँचने में कितना समय लगा है?
अगर आप शादियों के वीडियो पर ग़ौर फ़रमाएँ तो पाएँगे कि कुछ नहीं खाने वालों के एक हाथ में समोसे और दूसरे में मोतीचूर के लड्डू हैं।मनों अनाज,घी-दूध,फल-मेवे इस 'स्कूप हार्डेस्ट' फेस्टिवल की भेंट चढ़ जाते हैं और ये लोग कहते फिरते हैं कि भई हमने तो कुछ खाया ही नहीं।हम भी इन दिनों ये खाकर नहीं खाने वाला हुनर सीख रहे हैं।हालांकि हम भारतीय ज़्यादातर इसमें पहले से ही पारंगत हैं।
वैसे लगे हाथों एक बात और बताते चलें कि हम विश्व के सबसे खाऊ मुल्कों में से एक हैं।कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हमारे देश में भोजन के जितने प्रकार हैं वो आपको विश्व के बड़े से बड़े देश में भी नहीं मिलेंगे।ख़ैर,खाना ज़रूरी है क्योंकि खाएगा इंडिया तभी तो...हाहाहा।
तो आपसब से गुज़ारिश है कि खूब खाएं पर थोड़ी परवाह उनकी भी करें जिन्हें दो जून का भोजन बड़ी मुश्किल से नसीब होता है।यदि आपको मेरा ब्लॉग पसंद आता है तो कृपया मुझे कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएँ।और हाँ,मुझे लाइक,शेयर व फॉलो करना न भूलें।धन्यवाद!
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Lovely blog
बहुत खूब
बहुत धन्यवाद सखी @Sonnu Lamba
Thank you @BikashKumar Bharti
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