दिल ढूंढता है

बचपन हमें भले ही छोड़कर चला जाता है लेकिन हम कभी भी बचपन को नहीं भुला पाते।बचपन की मीठी यादें एक भीनी सी खुशबू की तरह हमारे मन को महकाती रहती हैं।इसी निराले से बचपन पर यह मीठी सी कविता

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 29 Aug, 2020 | 1 min read
#poetryblast




वो मिट्टी की खुशबू, वो परियों की बातें

वो दादी की गोदी,वो मीठी सी रातें

वो आँगन की कित-कित,वो कपड़े की गुड्डी

वो बगीचे जहाँ खेलते थे कबड्डी

वो नन्हीं सी चिड़िया का खुलकर चहकना

वो बगिया के फूलों का खिलकर महकना 

वो बगिया जिसे आज दिल ढूंढता है

वो अम्मा के हाथों की पक्की रसोई

वो बातें जिन्हें याद कर-कर मैं रोई

पुरानी किताबों की सोंधी सी खुशबू

वो रंगों, वो फूलों, वो बातों का जादू

हर इक शै में दिखता फ़कत अपनापन था

जाने वो सच था कि बस बालपन था?

बालपन जिसे आज दिल ढूंढता है

बिना बात के वो उलझना हमारा

वो साथी जो अब ना मिलेंगे दुबारा

वो बाजू में रहती सिरफ़िरी सी लड़की

जो बंद ना हुई है, वो यादों की खिड़की

 वो खिड़की जिसे आज दिल ढूंढता है

वो पापा के साए की महफ़ूज़ मोहब्बत

कहाँ से मैं लाऊँ दुबारा वो दौलत

वो दादी,वो नानी,वो बुआ, वो मौसी

कही-अनकही ऐसी बातें बहुत सी

वो आँगन जहाँ एक चिड़िया थी मैं भी

वो चिड़िया जिसे आज दिल ढूंढता है

समय की कड़ी में कड़ी जुड़ती जाती

हैं हम आगे बढ़ते, लड़ी टूट जाती

कुछ ऐसे ही जीवन मगर बढ़ता जाता

जो पल बीत जाता, न फ़िर लौट पाता

वो यादें बहुत खू्बसूरत हैं लेकिन

वो यादें जिन्हें आज दिल ढूंढता है !

©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    अनुपम रचना

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    हार्दिक आभार भाई 😊

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