बेदर्द सर्दी

एक मनोरंजक हास्य कविता

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 04 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

आई सर्दी कर गई अपना काम तमाम

छोटा सा अब दिन हुआ,तनिक नहीं आराम

तनिक नहीं आराम, कि दिनभर ठंड सताए

पति महोदय रोज़ नए व्यंजन बनवाएँ

व्यंजन बना बना हुआ अपना हाल बेहाल

कड़कड़ करती ठंड में फटे पड़े हैं गाल

फटे पड़े हैं गाल कि हाथ ठिठुरते जाएँ

बिस्तर-कंबल मुझे चिढ़ाएँ,पास बुलाएँ

पास बुलाएँ मुझे कि तुम भी कुछ सुस्ता लो

पति महोदय को भी ये कोई समझा दो !

©अर्चना आनंद भारती


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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Wah

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया 💞

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