दृष्टांत

भूख के ज़रिए जीवन का दृष्टांत समझाती मर्मस्पर्शी लघुकथा

Originally published in hi
Reactions 2
617
ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 21 Apr, 2021 | 1 min read
#contest #Inspiration #short_story

दिनभर रिक्शा चलाने के बाद थका - मांदा हरिया अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठा था।पत्नी धानी ने खाने को पूछा तो ' बाहर ही ले आ ' कहकर झोंपड़ी की दीवार से टेक लगाकर बैठ गया।धीमी - धीमी हवा पसीने का नमक सुखाने लगी।

  तभी मोटी - मोटी दो रोटियां ज़रा से अचार के साथ धानी ने लाकर रख दी।

रोटी खाने को हुआ कि तभी एक मरियल सा कुत्ता थाली से रोटी को घसीटता हुआ लेकर चला गया।

" अरे...रे,ये क्या? मैं क्या कहती थी, अंदर आकर खा लो।पर तुम सुनो तब न? "

" जाने दे,लगता है मुझसे ज़्यादा भूखा था बेचारा " निगाहें नीची कर हरिया ने कहा।पलकों से दो बूंदें झट से गिरकर मिट्टी में समा गईं।भूख ने उसे जीवन का दृष्टान्त समझा दिया था।

©अर्चना आनंद भारती



2 likes

Published By

ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उत्कृष्ट लघुकथा

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    हार्दिक आभार अनुज 😊

Please Login or Create a free account to comment.