वो भीगा भीगा सावन

मैंने शादी के लिए हाँ कह दी थी ये जानते हुए भी कि प्राची का दिल कभी प्रणव के लिए धड़कता था।आननफानन में...

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 20 Jul, 2020 | 1 min read
#Romance

हल्के नीले सूट पर लहराता झीना दुपट्टा, शफ्फाक आँखें और दूधिया रंगत, प्रणव ने जब पहली बार प्राची से मिलवाया तो मैं देखता रह गया।किसी रूपकथा की राजकुमारी सरीखी वह लड़की सीधे दिल में उतर गई।

" भला कोई इतना सुंदर कैसे हो सकता है? " दिल ने बस यही पूछा था उस समय।

" अनिमेष, कहाँ खो गए? " प्रणव ने मेरे कंधे झिंझोड़े।मैं जैसे नींद से जागा।

" ये मेरी दोस्त है प्राची " प्रणव ने हमारा परिचय करवाया।

" और प्राची,ये मेरा दोस्त अनिमेष "

मैंने चोर निगाहों से प्राची की ओर दुबारा देखा।उसकी बड़ी बड़ी पलकें जैसे उसके चेहरे पर पहरेदारी कर रही थीं।प्राची शर्मायी हुई सी खड़ी थी।शायद वो दोनों मेरी उपस्थिति से असहज महसूस कर रहे थे।प्राची की आँखों में प्रणव के लिए मैंने जो भावना देखी वह केवल दोस्त की तो कतई नहीं थी।बहरहाल जो भी हो, ये उनका व्यक्तिगत मामला था।मैं थोड़ी सी औपचारिक वार्ता कर वहाँ से चला आया।

मैं घर वापस आ तो गया पर घर आकर लगा जैसे मैं प्राची के पास कुछ भूल आया हूँ।दिन बीतते गए और बात आई गई हो गई एक मीठी सी कसक दिल में छोड़कर।

मैं मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करके पुणे में नौकरी करने लगा।छुट्टियों में घर गया तो जाने किस मोह में प्रणव के घर चला गया।इधरउधर की बातें करने के बाद जब प्राची का जिक्र छेड़ा तो प्रणव ने ज़रा झल्लाकर जवाब दिया - " होगी कहीं, मुझे क्या पता?"

" मुझे लगा था कि शायद तुम प्राची से..." मैंने वाक्य जानबूझकर अधूरा छोड़ दिया।शायद मैं उनदोनों का नाम साथ जोड़ने से कतरा रहा था।

" अरे,वो तो बस कॉलेज के जमाने की मस्ती थी।तुम कहाँ इनसब बातों में उलझे पड़े हो?" प्रणव ने कंधे उचकाते हुए कह दिया था।

मैं इस रहस्योद्घाटन से खिन्न हो उठा था।घर आया तो पापा इंतजार करते हुए मिले।

" बेटा, मेरे एक सहकर्मी हैं - मि. शुक्ला, उनकी बेटी है विवाह योग्य, तुम एकबार देख लेते।"

" पर पापा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।"

" बेटा, बस एक औपचारिक भेंट ही तो करनी है,कोई जबर्दस्ती नहीं है।तुम्हें न पसंद आए तो इनकार कर देना।"

पापा की बात टालने का सामर्थ्य मुझमें नहीं था।मैंने चुपचाप गर्दन झुकाकर हामी भर दी।मन में जाने कैसे कैसे ख़याल आने लगे।ख़ैर, हम तय समय पर लड़की देखने जा पहुंचे।पर वहाँ जिस लड़की से मेरा परिचय करवाया गया उसे देखकर मैं चौंक पड़ा था।ये तो प्राची थी!

मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा था? मैंने अपने सिर को झटका दिया।पर नहीं, ये वाकई वही थी।मैंने शादी के लिए हाँ कह दी थी ये जानते हुए भी कि प्राची का दिल कभी प्रणव के लिए धड़कता था।आननफानन में शादी कर दी गई और मैं प्राची को लेकर पुणे आ गया।पर प्राची का ठंडा व्यवहार मुझे अंदर तक हिला गया।अब मुझे महसूस हो रहा था कि शायद मुझे शादी से पहले एक बार प्राची से बात करनी चाहिए थी।

मैं लाख यत्न करता पर प्राची जैसे कोई हिमदेवी थी।एक ठंडापन हमदोनों के बीच में पसरा रहता।धीरे धीरे मैंने इसे अपनी नियति मानकर खुद को अपने काम में व्यस्त कर लिया।कभी कभी प्यार की तड़प मुझे अंदर तक रुला जाती पर मित्र की प्रेमिका से विवाह करने की यही सजा थी शायद।

सावन का महीना था और प्राची मंदिर जाना चाहती थी।मैं उसे चुपचाप बाइक पर बिठाकर निकल पड़ा था।बीच - बीच में उसका हल्का सा स्पर्श मुझे रोमांचित कर जाता पर मैं उस अदृश्य सीमारेखा को लांघ नहीं सकता था।लौटते हुए झमाझम बारिश शुरू हो गई।बारिश की ठंडी फुहारों ने मेरे मन के अवसाद को जैसे भड़का दिया था।मेरी आँखें भीग गई थीं।ये कैसी शादी थी मेरी?

मैं घर पहुंचकर चुपचाप बाइक पार्किंग में लगाने लगा।प्राची तब तक अंदर चली गई थी।मुझे न जाने क्या हुआ मैं बाइक लगाकर बाहर चला आया।हमने पुणे में एक कॉटेज किराए पर लिया था जिसके सामने नारियल के ऊंचे ऊंचे पेड़ लगे थे।मैं चुपचाप बारिश में खड़ा हो गया।मेरे अंदर की तड़प बारिश की बूंदों से एकाकार हो उठी थी।मैं फफककर रो पड़ा था, आख़िर मेरा कुसूर क्या था?

आँसू बारिश में मिलकर मिट्टी में घुलते जा रहे थे।मैं जैसे आज अपना सारा अवसाद बहा लेना चाहता था।तभी पीछे से एक सुकोमल स्पर्श ने मुझे चौंका दिया था।मैंने मुड़कर देखा तो पीछे प्राची खड़ी थी।उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर कहा था - " मुझे माफ़ कर दो अनिमेष, मैं तुम्हें उस गुनाह की सज़ा दे रही थी जो तुमने कभी की ही नहीं।"

" प्राची! " मैं बस इतना कह पाया था।

प्राची मेरी ओर याचना की दृष्टि से देख रही थी।उन आँखों के आकर्षण से मैं भला कहाँ बच सकता था?

मेरी हिमदेवी अब पिघल चुकी थी।उस दिन हम खूब भीगे थे,साथ में।मेरा ये भीगा सा सावन अब मनभावन हो चुका था।

मौलिक एवंं अप्रकाशित

©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Sunita Pawar · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत सुंदर कहानी❤️

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत धन्यवाद मैम 😊💞

  • Sushma Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    उफ्फ कितने खूबसूरत शब्दों से सजाया है सब सजीव लग रहा है 💝

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    हृदयतल से आभार मैम 😊💞

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