टूटती प्रत्यंचा

एक गरीब युवक की दिल छूती कहानी

Originally published in hi
Reactions 0
534
ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 06 Jun, 2020 | 1 min read
#Social issues





मैं एक गरीब आदमी हूँ, कोई 27-28 साल का।ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं, बस दिहाड़ी मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालता हूँ।तीन छोटे भाई-बहन और एक बूढ़ी बीमार मां, इन सब के भरण-पोषण का जिम्मा मुझ पर है।जो भी कमाता हूँ, सब इन पर खर्च हो जाता है, जाने कैसे?फ़िर भी कभी पैसे पूरे नहीं पड़ते, हर वक्त समस्याओं से घिरा रहता हूँ।आजकल तो मुझे मेरी बीड़ी तक के पैसे नहीं बचते जबसे मां बीमार हुई है।

       रात के 9 बजे हैं।मां की तबीयत कुछ ज़्यादा खराब है।उसके लिए दवाएं खरीदने निकला हूँ।अपनी ही चिंताओं में डूबा सा चला जा रहा हूँ।तभी एक आवाज़ सुनाई देती है-'चोर, चोर, अरे ये क्या, इतने सारे लोग?और ये सब मेरी ओर क्यों बढ़े चले आ रहे हैं?

       तभी अचानक- मारो-मारो,आह...मैंने कुछ नहीं किया, मैं तो बस दवाएं खरीदने निकला था,अरे कोई मेरी सुन क्यों नहीं रहा?आह...बदन दर्द से टूटा जा रहा है,मेरी बात सुनो...आह अब दर्द से गला घुटा जा रहा है...आह,चीखना चाहता हूँ, पर चीख गले से निकल ही नहीं रही, मुझे छोड़ दो,घर पर सब इंतज़ार करते होंगे।कोई सुन क्यों नहीं रहा?अचानक एक हिचकी... और सबकुछ शांत...मैं हवा में हल्का हुआ उड़ा जा रहा हूँ और साथ में उड़ी जा रही हैं मेरी समस्याएं भी... हां,अब सब ठीक है, सबकुछ ठीक!


मौलिक एवं अप्रकाशित

अर्चना आनंद भारती, आसनसोल,

पश्चिम बंगाल


0 likes

Published By

ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.