माँ भारती

जब तक माँ भारती की आत्मा ऐसी परतंत्र है कैसे मान लूँ मैं भला कि देश अपना स्वतंत्र है !

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 15 Aug, 2020 | 0 mins read
#contest #motherindia

काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु




जब तक स्वतंत्रता के लाभान्वित केवल समर्थ हैं,


तब तक स्वतंत्रता के सारे नारे बिल्कुल व्यर्थ हैं,


जब तक देश की सत्ता पूंंजीपतियों की चेरी है,


जब तक सरकार सुन न पाती जनता की रणभेरी है,


जब तक पीठासीन अधिकारी सत्ता मद में चूर हैं,


जब तक बेटियांं अंंतहीन पीड़ा सहने को मजबूर हैं,


जब तक गरीब,लाचार,विवश फुटपाथों पर सोते हैं,


जब तक किसान अपने घर में खून के आंंसू रोते हैं,


जब तक धरती फटती रहती अबलाओं की चीत्कारों से,


जब तक गूंजता रहता गगन भारत विरोधी नारों से,


जब तक सीमा पर शूरवीर सैनिक मारे जाते हैं,


जब तक लाचार बच्चियों के वस्त्र उतारे जाते हैं,


जब तक मां भारती की आत्मा ऐसी परतंत्र है,


कैसे मान लूंं मैं भला कि देश अपना स्वतंत्र है?


मौलिक एवं स्वरचित


©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    सुंदर रचना

  • Sonnu Lamba · 4 years ago last edited 4 years ago

    Very well expressed

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद आपका @Kumar Sandeep

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद प्रिय सखी @Sonnu Lamba

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