है भुवन जिसका ये सारा
आज उनका भवन बनता
क्या ये अद्भुत दृश्य देखा, राम मेरे
देव! क्या हम आ सकेंगे काम तेरे ?
हृदय गुंजित, मन प्रफुल्लित
हर्ष से है गात कंपित
गुनगुनाते होठों पर हैं नाम तेरे
कहो,क्या हम आ सकेंगे काम तेरे ?
मुस्कुराती सृष्टि है यह
मेघ बरसे जा रहे हैं
हर्ष में डूबी हुई है अवध नगरी
दर्शनों को भक्त तरसे जा रहे हैं
दीन,वंचित भी खड़े हैं पंक्तियों में राम मेरे
प्रभु ! क्या हम आ सकेंगे काम तेरे ?
प्रभु पधारो आप द्वारे
नैन हैं प्यासे हमारे
आप जो आए ही हैं तो
शुभ घड़ी यह नाम तेरे
है कहाँ सामर्थ्य आएँ काम तेरे ?
प्रभु ! तुम हो अंतर्यामी
भवबाधा हरो स्वामी
हमें बस तेरा सहारा
देखते हैं मुख तुम्हारा
हम खड़े हैं धाम तेरे
राम ! क्या हम आ सकेंगे काम तेरे ?
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
अद्भुत
श्री राम🙏🏻🙏🏻अनुपम सृजन
बहुत धन्यवाद सखी @Sonnu Lamba एवंं भाई कुमार संदीप 🙏🙏
सुंदर👌👌
धन्यवाद मैम
Please Login or Create a free account to comment.