औरत

स्त्री की स्थिति और व्यथा का चित्रण करती एक दोहावली

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 29 Jan, 2021 | 0 mins read
#1000poems

औरत तेरी खुशियों ने बदले कितने रूप

कब ससुराल की छाँव हुई, कब मैके की धूप

ठाँव बदलती ही रही, मिला न कोई ठौर

जिस औरत को घर मिला, होगी कोई और

घर संभालने में अपनी खर्ची उम्र तमाम

जिन पुरुषों को जन्म दिया, मिला उन्हीं का नाम

ऐसी क्रूर व्यवस्था पर,किया तनिक न रोष

सहता जो अन्याय को, होता उसका दोष!

© अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    क्या कहने

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद भाई

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