वात्सल्य

एक कवयित्री के मनोभावों को उकेरती मासूम सी कविता

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 20 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

कविताएँ आ बैठती हैं 

मेरे मन की मुंडेर पर

किसी नन्हीं चिड़िया जैसी

या ओस की नन्हीं बूंद झर जाए

किसी कोमल पत्ती पर

अधखिले फूलों से झांककर

मुस्कुरा देती हैं कभी

या गोद में आ बैठती हैं

किसी चंचल शिशु की तरह

और मैं एक मुग्धा माँ सी 

पूछ बैठती हूँ वात्सल्य से भरकर

"कहो मेरे शिशु, यह मेरी आत्मश्लाघा तो नहीं?"

©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहद उम्दा कृति दी

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    हार्दिक आभार प्रिय अनुज 💞

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