आख़िरी प्यार

बचपन की घनिष्ठता कब प्यार में बदल गई, मुझे पता ही नहीं चला।ये सत्रह अठारह वर्ष की उम्र भी बड़ी नाज़ुक होती है।मन इंद्रधनुषी सपने देखता है और कल्पनाएँ नित नए उड़ान भरती हैं।

Originally published in hi
Reactions 1
557
ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 24 Jul, 2020 | 1 min read
#love story

पार्थ और मैं बचपन से ही साथ-साथ खेले और बड़े हुए थे । हमारे माता-पिता अच्छे पड़ोसी और पारिवारिक मित्र थे सो किसी को हमारी घनिष्ठता पर एतराज न था । बचपन पंख लगाकर कब उड़ चला था और बचपन का गोल-मटोल चाँद सा पार्थ एक सुगठित देहयष्टि वाला सुदर्शन युवक बन गया था ।

हमने एक ही कॉलेज में दाखिला लिया था ।क्लास खत्म होने के बाद बचे समय में मैं पार्थ और अपनी मित्र-मंडली के साथ गप्पें मारती । हम अक्सर कॉलेज साथ आते-जाते । बचपन की घनिष्ठता कब प्यार में बदल गई मुझे पता ही न चला । सत्रह-अठारह की उम्र भी बड़ी नाजुक होती है । मन इन्द्रधनुषी सपने देखता है और कल्पनाएं नित नए उड़ान भरती है ।

मैं भी पार्थ के प्यार में आकंठ डूबी एक स्वर्णिम भविष्य के सपने देखने लगी । पार्थ को भी मेरे प्यार पर एतराज न था तभी तो मेरी छोटी-छोटी बातों पर भी वो कहकहे लगाने लगता । कभी मेरी लटें सुलझा देता तो कभी मुझे देखकर मुस्कुरा देता ।

हाँ, उसे मेरा पारंपरिक सूट दुपट्टे वाला रूप पसंद न था । वो अकसर मुझे थोड़ा आधुनिक बनने की सलाह देता, समय के साथ चलने की सलाह देता । पर मैं उसकी ऐसी बातों पर बस मुस्कुरा देती ।

मुझे आज भी कॉलेज की वो शाम याद है जब फिजा में बसंती बयार ने दस्तक दी थी । वैंलेनटाइन डे का नया चलन शुरू हुआ था और हमारी मित्र मंडली ने भी इसे मनाने का निर्णय लिया था । मैंने भी एक बढ़िया सा रोमांटिक युगल गीत पार्थ के साथ गाया था और सबने खूब सराहा था । आयोजन खत्म होने के बाद उस खुशगवार मौसम में मैंने पार्थ के सामने डरते-डरते धीरे से अपने प्यार का इजहार कर दिया था ।

पर, ये क्या, पार्थ तो बुरी तरह भड़क उठा था । उसने मुझे लगभग डाँटते हुए कहा था "तुम जैसी बहन जी टाइप लड़कियाँ ऐसी ही होती हैं । जरा सा हँस बोल क्या लिया, सीधे घर बसाने के सपने देखने लगती हैं । यू आर सो नाइनटीज अनु" कह कर वो चला गया था और मैं खुद को संभालते हुए रो पड़ी थी ।

मैं घर चली आई थी और खुद को एक सख्त खोल में समेट लिया था । इतना साहस न था कि किसी को इस बारे में कुछ भी बता पाती । कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही पापा ने मेरी शादी तय कर दी थी ।

मैं दिल में पार्थ की खट्टी-मीठी यादों को बसाए विशाल के साथ ससुराल चली आई थी । पर विशाल का दिल अपने नाम के अनुसार ही बहुत विशाल था । उन्होंने न तो मेरे विवाह पूर्व जीवन के बारे में कभी पूछा था न मैं बता पाई थी । उन्होंने जीवन के हर कदम पर मेरा साथ दिया था । उन्हें मेरा सादगी भरा सौंदर्य बहुत पसंद आया था । मैं पार्थ को भूलने की कोशिश करती पर उसकी यादें मेरा पीछा न छोड़ती ।

विवाह के सात वर्ष हो चुके थे और मेरी गुड़िया अब पाँच वर्ष की हो गई थी । विशाल के कहने पर मैं एक बार फिर अपने गीत-संगीत को समय देने लगी थी ।

ऐसे ही एक बार मेरे पति के कहने पर मैंने एक रिएलिटी शो के लिए ऑडिशन दिया और चुन ली गई थी । प्रतियोगिता जीत तो नहीं पाई पर उसके सेमीफाइनल में पहुँच गई थी ।

उसके बाद ऐसी कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था और धीरे-धीरे एक गायिका के तौर पर मेरी पहचान बन गई थी ।

नवम्बर का महीना था और मेरे अपने शहर कानपुर में पहली बार मेरा कोई शो आयोजित होने वाला था। मन में कुछ अपनों से मिलने की आस थी और पार्थ को एक बार फिर से देख पाने की उम्मीद, सो मैं बड़े उत्साह से कानपुर आ गई थी ।

'सोलह बरस की बाली उमर को सलाम' ये गीत मैंने गाना शुरु किया था और भावविह्वलता में कब मेरी आँखे छलक आई थी, मुझे पता नहीं चला था । शायद अधूरे प्यार का दर्द आँसुओं में छलक आया था। मेरी तंद्रा तब भंग हुई थी जब हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा था ।

मैं धीरे-धीरे सभागार की सीढ़ियां उतरने लगी थी कि तभी सामने पार्थ को खड़ा पाया था । अतीत वर्तमान का रूप धारण कर यूँ सामने आएगा, मैंने सोचा न था । 'कैसी हो अनु ' पार्थ ने मुझसे पूछा था। मुझे ठुकराने का अफसोस उसकी आँखों में साफ नजर आ रहा था ।

मैं, उहापोह की स्थिति में जड़वत खड़ी रह गई थी कि तभी कंधे पर किसी का स्नेहिल स्पर्श पाकर पलटी थी । सामने पति खड़े थे । 'चलें' उन्होंने पूछा था । और मैं अतीत से वर्तमान में आती हुई चल पड़ी थी उस इंसान के साथ जो मेरा पहला प्यार भले न सही, पर मेरा आख़िरी प्यार था । क्योंकि प्यार महज खोने -पाने का गणित नहीं, प्यार एक खूबसूरत और मुक्कमल एहसास होता है जो आज मैंने महसूस किया था, दुबारा, अपने पति से ।

धन्यवाद !

काल्पनिक एवं मौलिक ।

नोट :-यदि आपको मेरी कहानी पसंद आए तो लाइक व शेयर करना न भूलिएगा ।

मौलिक एवं स्वरचित

अर्चना आनंद भारती

1 likes

Published By

ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Yashika Mittal · 4 years ago last edited 4 years ago

    amazing story aapne ise ase likha h jse ye sari story mne khud dekhi ho......😍😍😊😊

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you so much ma'am

Please Login or Create a free account to comment.