मैं मरुभूमि का क्लांत पथिक
माँ मरुद्यान के झरने सी
मैं व्यथा, निराशा की गाथा
वह तमस,कलुष सब हरने सी
जीवन कटु अनुभव की शाला
वह नानीमाँ की लोरी सी
यह अंतहीन खींचातानी
और वह ममता की डोरी सी
वह प्रेम, स्नेह का है सिंचन
मेरे हिय का है अभिनंदन
वह करुणा की है निर्झरिणी
वह है मेरा नंदनकानन
जितना भी लिखूँ, कम ही पड़ता
गुण इतने सारे तुझमें हैं
मुझको ईश्वर का क्या करना
मेरा ईश्वर तो तुझमें है !
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
भावपूर्ण रचना
बेहतरीन
Please Login or Create a free account to comment.