इश्क़ गुजिश्ता

तुम्हें भुलाने की कोशिश में बुनी थी ये कविता... तुम खुद ही पढ़ लो न ??

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 05 Feb, 2021 | 0 mins read
#1000poems

नींद की चादर छलनी है

मगर ये रात बाकी है

अभी ख़्वाबों में पर उनसे

मुलाकात बाकी है

भोर का तारा उगने को

क्षितिज पर बेकल बैठा है

इश्क़ गुजिश्ता सही

वो एहसासात बाकी हैं

जो इक पल पास बैठो तो

हम ये कानों में कह दें

तुम्हें भुलाने की कोशिश में

मेरे दिल ओ दिमाग में

अब तलक कुछ जंग के

हालात बाकी हैं!

©अर्चना आनंद भारती

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