पाटल

अपने कौशल से अनभिज्ञ लेखनी की आत्मस्वीकृति

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 27 Feb, 2021 | 1 min read
#1000poems

लेखनी नहीं जानती कि

इन नीली काली वीथिकाओं से 

निकलेंगे कितने धनुर्धर

लेखनी यह भी नहीं जानती

कि उसकी नोंक से निकले

गीतों को देंगे कितने आल्हा ऊदल

अपना कंठ स्वर

लेखनी तो बस इतना जानती है 

कि जिस दिन यह थककर टूट जाएगी

उस दिन उग आएगा

काँटों के उपवन में कहीं

एक नन्हा सा पाटल!

©अर्चना आनंद भारती

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ARCHANA ANAND

archana2jhs

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुंदर

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    सदैव की भाँति उत्कृष्ट सृजन

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    हार्दिक आभार @Shubhangini Sharma 💜

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत शुक्रिया भाई @Kumar Sandeep 💜

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