सन् 2150 के एक आलीशान घर का दृश्य।चारों ओर प्लास्टिक के भव्य फ़र्नीचर और विविध यंत्र सजे हुए।खाने की मेज पर प्लास्टिक के चमचमाते जारों मे सजे हुए रंग-बिरंगे टैबलेट्स और कैप्सूल
मि० रोहन बड़ी बेचैनी से खिड़की के बाहर निहार रहे हैं।चारों ओर कंक्रीट के जंगल, पौधों का नामोनिशान नहीं।अचानक दम घुटने का एहसास होता है और मि० रोहन फ़ौरन अपना ऑक्सीजन मास्क लगा लेते हैं।थोड़ी देर बाद संयत होते हुए पुरानी यादों में खो जाते हैं।
कमरे के दराज से एक पुरानी एलबम निकाल धीरे-धीरे इसके पन्ने पलट रहे हैं कि तभी कमरे में पुत्र विज्ञान का प्रवेश-"यह क्या है डैड?"
"एक पुरानी यादों का एलबम"
"अच्छा?क्या मैं इसे देख सकता हूँ?"
"हां,क्यों नहीं?"
"ये इस तस्वीर में ये हरी-हरी और रंग-बिरंगी क्या चीज़ है?"
"आज से सालों पूर्व धरती पेड़-पौधों और फल-फूलों से ढंकी होती थी, ये उसी के चित्र हैं।"
"और ये इस तस्वीर में ये तरह तरह के कौन से जीव हैं?"
"ये विभिन्न वन्य जीव हैं"
"पर अब हमें ये क्यों नहीं दिखाई देते? कहाँ गए ये सब?"
"प्लास्टिक के अंधाधुंध प्रयोग और कल-कारख़ानों की बेतहाशा वृद्धि ने इन सब को नष्ट कर डाला।"
"तो क्या अब ये कभी वापस नहीं आएंगे?"
"आएंगे मेरे बच्चे, जब क़यामत होगी।जब ख़ुद को अत्याधुनिक और अति विद्वान कहने वाली इस पीढ़ी का समूल नाश हो जाएगा।"
कहते हुए मि० रोहन ने पुत्र विज्ञान को बांहों में भर लिया था और फफक कर रो पड़े थे।मानो स्वयं प्रकृति अपनी बदहाली पर रो पड़ी हो।
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
पढ़कर डर लगने लगा 😔
बिल्कुल यही होने वाला है
@Charu Chauhan एवं @Varsha Sharma, ये कोरोनाकाल ऐसे ही भविष्य का सूत्रपात है।आपदोनों सखियों का आभार 💗
हां, कडवा सच है, ये
हार्दिक आभार सखी 💗
kash aisa hone se pehle ham sudhar jaaye
धन्यवाद प्रिय सखी ❤
Please Login or Create a free account to comment.