तस्वीरें टांगकर, चंद सद्भावना भरे शब्द कहकर
विदा कहना किसी दिवंगत प्रिय को
ऐसा है कुछ जैसे पीछा छुड़ाना
उसकी यादों, उसकी बातों
उसके गुजर चुके उस ऊष्ण व्यक्तित्व से
जिसके कारण वो कल तक हमारे प्रिय थे
इसलिए नहीं आता मुझे कहना विदा
नहीं कह पाती मैं विदा
क्योंकि बहुत कुछ छूट जाता है
विदा कहने के बाद भी !
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
आपकी लिखी हर रचना शानदार होती है
हमेशा उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद प्यारे भाई 💞
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