बुरा समय ही तो था,गुज़र जाता
उदास मन ही तो था,सुधर जाता
तन्हाईयाँ ही तो थीं, बाँट लेते
कुछ खुशियों के क़तरे छांट लेते
दोस्तों से मिलकर बातें कर लेते चार
आख़िर तुम थे भी तो कितने होशियार
शोहरतों ने तुम्हारे चूमे थे कदम
तमाम बुलंदियों को तुमने छुआ था हरदम
फिर क्या हुआ जो इक सितारा इतना मजबूर हुआ?
हमसब की आँखों से हमेशा को दूर हुआ?
जो कुछ भी हुआ,वो बिल्कुल नहीं होना था
सुशांत, तुमको ऐसे नहीं सोना था
बनकर आँसू लाखों को रूलाओगे
सुशांत, तुम हमें बहुत याद आओगे!
एक श्रद्धांजलि
©अर्चना आनंद भारती
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
एक सरल, सुदर्शन उदीयमान व्यक्तित्व का असमय जाना बहुत दुखद है... ॐ शान्ति.. 🙏🙏
हार्दिक आभार आपका... सच में बहुत दुखद 😥
Beautifully penned
Please Login or Create a free account to comment.