आख़िर क्यों सुशांत?

अच्छा नहीं होता यूँ चुपचाप चले जाना बहुत मुश्किल है दिल को समझाना

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ARCHANA ANAND
ARCHANA ANAND 14 Jun, 2020 | 0 mins read
#Social issues

बुरा समय ही तो था,गुज़र जाता

उदास मन ही तो था,सुधर जाता

तन्हाईयाँ ही तो थीं, बाँट लेते

कुछ खुशियों के क़तरे छांट लेते

दोस्तों से मिलकर बातें कर लेते चार

आख़िर तुम थे भी तो कितने होशियार

शोहरतों ने तुम्हारे चूमे थे कदम

तमाम बुलंदियों को तुमने छुआ था हरदम

फिर क्या हुआ जो इक सितारा इतना मजबूर हुआ?

हमसब की आँखों से हमेशा को दूर हुआ?

जो कुछ भी हुआ,वो बिल्कुल नहीं होना था

सुशांत, तुमको ऐसे नहीं सोना था

बनकर आँसू लाखों को रूलाओगे

सुशांत, तुम हमें बहुत याद आओगे!


एक श्रद्धांजलि

©अर्चना आनंद भारती


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ARCHANA ANAND

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Comments

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  • Kamlesh Vajpeyi · 4 years ago last edited 4 years ago

    एक सरल, सुदर्शन उदीयमान व्यक्तित्व का असमय जाना बहुत दुखद है... ॐ शान्ति.. 🙏🙏

  • ARCHANA ANAND · 4 years ago last edited 4 years ago

    हार्दिक आभार आपका... सच में बहुत दुखद 😥

  • Bikashkumar Bharti · 4 years ago last edited 4 years ago

    Beautifully penned

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