नास्तिक पिता और पूर्ण आस्तिक माँ कि बेटी आस्तिक तब हुई जब व्यक्तिगत अनुभव के तर्क मिले
#नवरात्र ऐसा ही विषय है. .. और 22 साल हो गए मन से नवरात्र से जुड़े..
22 साल पहले मैंने इंटर की परीक्षा देकर अपनी दोस्त से कहा कल घर जाना ।अब ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने ही आना होगा..
और ग्रेजुएशन वाले लोग बड़े हो जाते।वो प्रेम मोह में नही फँसते तो मुझे इसी बीच प्रेम करना ।
लड़के के अभाव को रातोरात पूरा करने के लिए बस एक नाम शक्ल की जरूरत थी।शाम को उसी के हॉस्टल में जो विजिटर आए उनमें से मन ही मन सेलेक्शन कर लिया गया।
घर आकर कुछ दिन बाद..
कुछ कुछ होता है मूवी भी आई!और उस दोस्त का पत्र भी के उस लड़के ने उसे प्रपोज कर दिया है।वो प्रसन्न थी😁 क्योकि सेलेक्शन मन ही मन हुआ था।लड़के को भी पता न था।
कुछ दिन बादमैं अपने टूटे 🤷दिल के साथ रिजल्ट लेने जब उसके पास पहुँची! तो उसने पूरी रात जगकर प्रपोजल का किस्सा सुनाया। टेलीफोन बूथ के दिन थे।सुबह हम दोनों गए लड़के को कॉल लगाई उसने अपनी बात के लिए मेरी ट्रेजडी भी सुना दी मजाक में।
मैंने कहा सुनो मुझे सेकेंड हैंड लड़के पसन्द नही तुम इसी से प्यार शादी सब करो😬मेरे पापा मेरे लिए तुमसे अच्छा लड़का खोज देंगे।+2 हो गया था ।मगर मासूम तो हम सुपर 30 तक की उम्र तक थे।
अंदर टूट फुट बाहर आँसू का माहौल था ।
अब तो वो funny घटना बन गई ।के ..उस लड़के को लड़की छोड़कर बिना एड्रेस दिए चली गई।
वो जब होस्टल उसकी खबर लेने आता लड़की मेरे पास होकर भी नही मिलती।दोनो के ड्रामे से चिढ़ इरिटेशन सब हो गई..
तब बात भी कुछ न थी।न मिले न जाना न बात
मगर पहली बार दुःख या ये सब समझ तभी आया था।तो बहुत ही मासूमियत के दुख थे वो
जिसे भरने को कोई दवा न थी दूर दूर तक..
वो नवरात्र का पहला दिन था।हॉस्टल लौटी तो .. उसकी रूममेट पूजा कर रही थी।
#दुर्गासप्तशती का पाठ ... हमें बस सुनना था।लेकिन वो मोह माया में ग्रसित होने और स्त्री शक्ति की कहानी ।मन को इतना स्थिर करती गयी थी के अगले साल होस्टल में काजल के साथ खुद पाठ शुरू किया।
किताब जो हमने तब खरीदी थी वही आजतक मेरे पास है। हॉस्टल के 7 साल फिर मायके से दिल्ली आज तक।
हर साल मन के मोह में "गिरने या मुक्त "होने की प्रथा चली आ रही।
🌺🌺🙏
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wahh 👍
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