वैसे तो शिमला की घाटी वहां की बादी वहां का गायन वहां की सुंदरता आदि | सभी न केबल भारत में अपितु संसार भर में चर्चित और लोकप्रिय है | लेकिन शिमला में एक और हैं ,वह हैं -कवि "हरि प्रसाद" जी | वैसे तो हरिप्रसाद जी का नाम पूरा तो कोई नहीं जानता था | पर सब उन्हें" कवि" कहकर ही सम्बोदित करते थे |
"हरी" जी को साहित्य से से बहुत लगाव था ,"हरी" जी शिमला से थोड़ी दूर एक छोटे से कस्बे में रहते थे |
क़स्बा केबल नाम का था | वहां तो मानो ईश्वर का निवास था| ताज़ी हवा ,वहां के लोग ज़िन्दगी की भाग दौर से आज़ाद अपनी अनोखी दुनिया वसा चुके थे | " हरी" जी का घर कस्बे में बीचों -बीच था | यही कारण था ,की हर कोई उन्हें नमस्कार करता हुअा गुजरता था | उनका घर एक कोठी हुआ करता था ,लेकिन उन्होंने उसे एक पाठशाला में बदल दिया था | उनकी कविता लेख बहुत सुहाबनी और शांत चित वाली थी |
वह नीम के पेड़ नीचे जो की उनके घर के गेट से तनिक पहले था | वहां अपनी रचना करते थे |
शिमला में वार्षिक कवी सम्मलेन होने वाला था | सरे कवी जी जान लगा थे "हरी" जी का खाना- पीना तो मनो उस नीम के पेड़ नीचे ही होता था | "हरी" जी अपने साहित्य में हमेसा उस नीम से ही बात किया करते थे |
लोग यह देखकर खुश हो कर चल देते थे | आखिर सम्मलेन का दिन आ गया | सम्मलेन से दो दिन पहले सरकारी विधुत और दूरसंचार मंत्रालय के लोगों ने उस पेड़ को काटने का काम शुरु करा रहे थे | की "हरी"जी ने उनके सामने विनती की वह इस पेड से बहुत प्यार करते हैं ,तो वह खंबे को कही और लगा दे ,पर उन्होंने साफ़ मना कर दिया और काटना शुरू करबा दिया | कट तो पेड़ रहा था रहा था ,पर तकलीफ़ "हरी "जी को हो रही थी | जब पेड़ ने दम तोडा तो सरकारी गाड़ियों में रख कर उसे ले गए | हर कोई एकचित था ,सम्मलेन में "हरी" जी शामिल हुए और कविता सुना कर थोड़ी देर बैठ कर चल दिए ,विजेता के पैसे उन्हें घर पर देने के लिए आयोजक उनके घर की ओर चल दिए ,उन्होंने वहां देखा की "हरी"जी नया नीम का पौधा लगा रहे थे उन्होंने पैसे लेने से मना कर दिया ,जब आयोजक ने सवाल किया क्यों? तो वह एक छोटी सी मुस्कराहट के साथ चल दिए | और जाते जाते बोल रहे " हवाओं ने कहा तू चला गया ,पर मैंने कहा तो क्या हुआ,
मैंने उसकी याद में एक और साथी बना लिया "
थे |
लेखक - अनुराग उपाध्याय ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
bahut khub
Please Login or Create a free account to comment.