तेरी बेफवाई का रसूख़ देखने
अपनी जिंदादिली का सबूत देने
जिंदा रहूंगा मैं
तुझे किसी ओर की होता देखने को
मेरी उम्मीदों को सरे राह टूटते हुये देखने को
जिंदा रहूंगा मैं
मासूम सी मोहब्बत को जिस्मनोशी का तमग़ा मिलने तक
तुझे किसी ओर की बांहो में सिमट जाने तक
जिंदा रहूंगा मैं
तेरी चालाकियों से खुद को लाचार बेबस पाने तक
सहने की हद तक टूट कर बिखर ने सहुलियत तक
जिंदा रहूंगा मैं
अतीत की यादो में
बहते अश्को की धारो में
जिंदा रहूंगा मैं ।।
Comments
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बेहतरीन रचना।
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