आपकी नजरों में लफ्जों की हकीकत है
नजरें चुरा लेते हैं एक यही तो मुसीबत है
हमें देख जाने क्यों रास्ता बदल लेते हैं
हमसे है रास्तों से थोड़ी ही नफरत है
प्यासे को पानी भूखे को भोजन मिला
यह गरीब बस्ती में किस की हुकूमत है
छोड़ दिए हमने बेफिजूल ख्याल करना
अब तो सिर्फ अपने काम से मोहब्बत है
में बेमतलब था यार दोस्तों की बस्ती में
ऐसी कश्ती को भव में कहां इजाजत है
कुछ अच्छा मिला तो हमने अपना माना
भूल गए राधे किसी और की अमानत है
पड़ता है वह खुद को आईने में जाकर
उसकी वह मुस्कान ही एक इवारत है
इतना उलझ गया कि ठहर सा गया
ठहरना ही रास्ते की बस शिकायत है।
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