Ankita Shrivastava
30 Nov, 2020
मेरे पिता
*मेरे पिता*
उनको महसूस हुआ कि मैंने नहीं देखा और मैंने सीखा की मेरे पिता चुपके से मेरी कविता पढ़ मेरी पीठ थपथपाते हैं।।
उनको लगा मैंने नहीं देखा
और मैंने सीखा कि मेरे पिता हर धर्म के आगे नतमस्तक हो जाते है।।
उनको महसूस हुआ कि मैंने नहीं देखा
और मैंने सीखा की हर जानवर को वो प्रेम से खिलाते हैं।।
उनको महसूस हुआ कि मैंने नहीं देखा और मैंने सीखा की मेरे पिता अपने माता पिता की सेवा में दिन रात जुट जाते है।।
उनको महसूस हुआ कि मेरे पिता मेरे पालन पोषण में अपना सर्वस्व लुटाते हैं।।
उनको महसूस हुआ कि मैंने सीखा की अपनी हर बातों से मुझमें संस्कार जगाते हैं।।
©Ankita Virendra Shrivastava IG ankitavshrivas
Paperwiff
by ankitashrivastava
30 Nov, 2020
Hindi poem Papa ji
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