" अरे!! कुंडली नहीं बेटा, लड़के की मेडिकल जांच का पर्चा मंगवाओ। मैंने अपनी बेटियों की शादी के वक़्त जो गलती की ;अब पोतियों की शादी के वक़्त नहीं दोहराना चाहती "- कौशल जी ने अपने बेटे माधव को कहा।
कौशल जी की 2 बेटी और एक बेटा था। बहुत देखभाल कर सब बच्चों की शादियां की। बेटियों की शादी में कोई कमी नहीं रखी।
बच्चों की शादी करके कौशल जी निश्चिंत हो गई थी, और पोता पोती के साथ ही सारा दिन बीत रहा था।
एक दिन अचानक पता चला कि छोटी बेटी के पति की दोनों किडनी फैल हो चुकी थी।
कौशल जी को अचानक धक्का पहुंचा, 30 वर्ष की उम्र में किड़नी खराब हो गई। कोई शराब का ऐब नहीं, कुछ नहीं। शादी को अभी 2 साल ही तो हुए थे।
सब कहते रहे अब कोई उम्मीद बाकी नहीं। सब कौशल जी को सलाह देते -
बीमारी का सच छुपाकर की हुईं शादी तोड़ने में कोई हर्ज नहीं। लड़की को होती ये बीमारी तो क्या लड़के वाले घर ना बिठा देते तुम्हारी बेटी को!!
परन्तु कौशल जी की बेटी तलाक़ के लिए तैयार नहीं थी।
उसने मां को कहा -" अगर मेरी किस्मत में पति का सुख होगा , तो ये ही ठीक हो जाएंगे मां। मेरी 7 महीने की बच्ची का तो सोचो। वो किसके पास रहेगी। कोई दूसरा इसे अपने पिता जैसा प्यार थोड़ी दे पाएगा।"
बेटी की ज़िद्द के आगे कौशल जी को झुकना ही पड़ा। कौशल जी की बेटी ने अपनी एक किडनी अपने पति को दी।
6 साल तो वो ठीक रहे पर फिर हेपेटाइटस आदि और बीमारियों ने जकड़ लिया और उनके जमाई की मृत्यु हो गई। 26 साल की उम्र में बेटी को विधवा रूप में देखकर, कौशल जी अपने आप को कोसती रहती।
" क्यूं मैं बेटी के प्यार में उसकी बातों में आ गई। अब पति भी नहीं रहा, बेटी भी एक किडनी पर आश्रित हो गई और 6 साल की बच्ची के सिर से पिता का साया भी उठ गया।"
जैसे तैसे करके कौशल जी ने बेटी को और नवासी को संभाला। दूसरी शादी के लिए भी कहा, परंतु बेटी तैयार नहीं हुई।
अब अकेले ही अपनी बेटी को संभाल रही है और काम भी करती हैं।
कौशल जी ने बेटी की ये हालत देखकर मन पक्का कर लिया।
पोतियों की शादी के वक़्त मैं लड़के की डाक्टरी जांच जरुर कराऊंगी। जो तैयार नहीं हुआ उस घर में पोती को ब्याहुंगी ही नहीं।
कौशल जी इतने सालों बाद भी उस हादसे की आत्मग्लानि से उभर नहीं पाई थी। उभरती भी कैसे ; अपनी बेटी को ताउम्र मन मारकर जीते जो देखा था उन्होंने।
माधव जी मां को समझाते रहे -" मां!! वो हादसा किस्मत में लिखा ही था हमारे। कौन लड़के वाला जांच के लिए तैयार होगा?"
कौशल जी -" मै स्वस्थ होने का सुबूत ही तो मांग रही हूं। चरित्र प्रमाण पत्र थोड़ी मांग रही हूं जो कोई नहीं देगा। "
माधव जी -" मां! आप समझती क्यूं नहीं, ऐसे तो बेटी को ब्याहना मुश्किल हो जाएगा।"
कौशल जी -" अगर शादी के बाद लड़के वालों को पता चले कि लड़की को कोई बड़ी बीमारी है तो वो एक मिनट नहीं लगाएंगे रिश्ता तोड़ने में। फिर हम क्यूं ना पूछे उनसे की उनका लड़का स्वस्थ है कि नहीं??"
माधव -" मां!! मुझे माफ़ करो। मैं बेटी को कुंवारी नहीं बिठा सकता। "
कौशल जी -" मैं भी अपनी पोती को अपनी बेटी की तरह सफ़ेद लिबास में नहीं देख सकती। तुझे क्या पता हर कदम इस दुनिया में कैसे जीना पड़ता है!"
माधव अब चुप हो गया। बहन को तड़पते, हर त्योहार में हिचकिचाते देखा था उसने!!
ठीक है जो आपकी मर्जी!! कहकर काम पर चला गया।
कौशल जी के पास कोई भी रिश्ता लेकर आता तो वो बाकी बातें पूछने से पहले यही पूछती -" लड़के को बीमारी तो नहीं? लड़के के खानदान में कोई जन्मजात बीमारी हो?"
बहुत से लोग तो जांच की बात सुनते ही रिश्ते की बात आगे बढ़ाते ही नहीं थे।
आखिर कौशल जी ने पोती से ही पूछ लिया -" बेटा!! तुम्हें कोई पसंद हो तो बता दो। हमारा भी समय बच जाएगा, और तुम्हारी भी पसंद शामिल हो जाएगी। मेरी कोई शर्त नहीं बस एक शर्त है।वो तो तुम्हें मालूम ही होगी।"
शिखा -" हां!! दादी मां मुझे पता है। मैं आपको बताने ही वाली थी। मेरे दफ्तर में ही है शेखर। आप उसके मां पापा से बात कर लेना। शेखर को ये जांच वाली बात भी पता है, वो सहमत है आपकी जांच वाली बात से।"
कौशल -" लो बताओ!! बगल में छोरा गांव में ढिंढोरा। मुझे पता दो, नंबर दो । मैं बात करूंगी तेरे पिता जी से।"
कौशल जी ने अपने मन के डर की तसल्ली करने के बाद ही; धूमधाम से पोती की शादी करवाई।
** दोस्तों! ये एक सच्ची कहानी है बस पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।
आज के जमाने में कब क्या बीमारी किसको हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। परंतु जानबूझकर बीमारी का झूठ छिपाकर किसी की बेटी की ज़िन्दगी खराब करना कौनसी इंसानियत है?
हमें ही ये बदलाव लाने होंगे ताकि किसी भी बेटी को उम्र भर किसी और के झूठ की सजा ना भुगतनी पड़े।
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धन्यवाद।
आपकी स्नेह प्रार्थी
अनीता भारद्वाज
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