मतदान की हो बात,
तो याद आ जाता है हमारा साथ,
यूं तो बस गिनती ही होती है हमारी,
पर मशवरा, सलाह नहीं ली जाती हमारी।
जिस बटन पर पति, बेटा, कहे;
वहीं मोहर लगा देते थे,
यूं हम भी अपने मतदान का प्रयोग दिखा देते थे
अब ज़माना बदल गया,
बदल गई हर रीत,
अब मतदान के अधिकार की शुरू होगी अपनी प्रीत,
जो हमको अधिकार दिलाए,
हमारे होने का एहसास कराए,
वोट पड़ेगी उसी के नाम,
सिर्फ बातों से ना मानेगी,
करके दिखाने पड़ेंगे काम।
हो मतदान शीशे जैसा,
ईमानदारी का हो बोलबाला,
जो हकदार है वो जीते,
धोखेबाज का हो मुंह काला।
ये मतदान हो हमारी गिनती वाला,
ये मतदान हो जैसे,
सुबह का उजाला।
Comments
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बढिया 👍
Very nice
जी शुक्रिया आपका
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