चांद ...( घरेलू हिंसा)

त्यौहार सबके लिए खुशियां लाएं, ये जरूरी नहीं..

Originally published in hi
Reactions 1
467
Anita Bhardwaj
Anita Bhardwaj 14 Dec, 2020 | 0 mins read


चांद को देखने उमड़ा था मोहल्ला छज्जे पर,

जिसका व्रत था वो बना रही पकवान चूल्हे पर,


छोटा बेटा भूख से तिलमिलाया,

गोद में उठाकर उसे चुप कराती,

बनाती जा रही थी पकवान चूल्हे पर,


इसको चुप करवाओ!

चांद की बाट टोहता हुआ उसका चांद,

चिल्ला रहा था छज्जे पर।


क्या पाखंड है ये,

किसने ये रीत बनाई है,

व्रत तुम रखो,

मेरी क्यूं श्यामत की घड़ी आई है।


इतना सुन बस यही बोली थी वो,

बच्चे को पकड़ को कुछ देर,

मैं बना रही हूं पकवान चूल्हे पर,


ये सुनकर कड़ाही के तेल से ज्यादा गरम हुआ,

लगाया ताव मूछों पर,


पूरी छानने की छलनी से ही उसे मारा,

जो भूखी होकर भी चांद के लिए

बना रही थी पकवान चूल्हे पर,


छलनी जिससे चांद को देखना था,

उसे ले जाना भूल गई छज्जे पर,

एक छलनी जिसके निशान कमर पर थे,

फिर भी बनाती जा रही थी,

पकवान चूल्हे पर


सोच रही थी उसकी लम्बी उम्र की दुआ मांगू,

या दम तोड़ दूं छज्जे पर,


फिर भी खुद को समेटती हुई, खाना परोस रही थी,

चांद देरी से आया इसलिए गुस्सा हो गए,

ये कहकर अब भी चांद को ही कोस रही थी छज्जे पर।

1 likes

Published By

Anita Bhardwaj

anitabhardwaj

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👍 👍

  • Hem Lata Srivastava · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut sundar

  • Anita Bhardwaj · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत शुक्रिया

Please Login or Create a free account to comment.