चेहरा देने की क्या जरूरत है
अपने जज्बातों को;
ये दिल की बातें है
अपने चेहरे से भी छुपा कर रखो इन बातों को;
चेहरा पढ़ कोई अंदाजा न लगा ले
कि तुम जागते हो रातों को;
फिर वो शहर भर में मशहूर न कर दे इन बातों को;
हर चेहरे पर फिर तुम सवाल देखोगे,
और धीरे धीरे भूल जाओगे अपने जज्बातों को;
फिर कागज कलम संग बैठ बतलाओगे रातों को,
चेहरे तो बदल जाया करते हैं,
ढूंढो वो दिल जो संभाल कर रखे जज्बातों को;
ये दिल की बातें है छुपा कर रखो इन बातों को!!
अनीता भारद्वाज
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