लोग धर्म की बातें करते है,
धर्म धर्म करते खूब अधर्म करते हैं।
अपने घर के चिराग को बचाकर,
दूसरों के घर अंधेर करते हैं।
कोई गंभीरता से नहीं सुनता,
जब तक धर्म बीच में ना आए।
इन कृत्रिम धर्मों ने ,
इंसानियत जैसे सच्चे धर्म भुलाए।
सत्ता किसी को नहीं रहती,
तख्त पलटता है हर बार,
जो धर्म में अंधे हो लड़ पड़े,
सिर्फ़ उनका ही बिखरता है घर बार।
तुम युवा हो, कुछ तो नया सृजन करो,
अपने इतिहास से सीखो कुछ,
जाति, धर्म के झगड़े को खत्म करो।
जलाओ कोई मशाल प्यार की,
कभी बिना भारत बन्द किए भी,
कोई मसला हल करो।
युवा हो, कुछ तो नया सृजन करो।
कभी पंछियों सी चंचलता दिखलाओ,
दाना उठाया हिन्दू मोहल्ले से,
कभी दूसरे मोहल्ले में बैठकर खाओ।
ये सरहद पर खड़े नौजवान
नहीं सोचते किसको बचा रहे है,
चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम
वो तो सबके लिए प्राण तक लूटा रहे हैं।
तुम तो बेफिक्री से बैठे हो,
अब तो कुछ फिक्रमंद बनो,
युवा हो कुछ तो नया सृजन करो!
कुछ तो नया सृजन करो!
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत खूब 👌
जी शुक्रिया
उम्दा सृजन
जी शुक्रिया आपका
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