मैं प्रेगनेंट हूँ

प्यार और परवाह जैसे जज्बातों से भरी एक प्यारी सी कहानी

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Anamika anu
Anamika anu 11 Sep, 2021 | 1 min read

"हे रिया.... प्लीज़ तुम हेल्प कर दो ना।" आकाश ने अपनी चेयर उसके नजदीक खिसकाते हुए कहा।

"हाँ बोलो, क्या हेल्प चाहिए?" लैपटॉप पर नज़रे गड़ाए हुए ही रिया ने जवाब दिया।

यार वो मुझे दस दिन की लीव चाहिए। पर बॉस को यह गैरज़रूरी लग रही है।

"लीव! वो भी तुम्हें? जो हाफ डे पर भी फुल डे वर्किंग रहता है उसे पीक सीजन में टेन डेज़ की लीव चाहिये? और तुम चाहते हो इसमे तुम्हारी मदद कर के मैं जबरदस्ती अपना पैर कुल्हाड़ी पर मार लूँ?" रिया बालों को पीछे की तरफ झटकते हुए बोली और आकाश को घूरने लगी।

"अरे नहीं। इसमे कुल्हाड़ी कहाँ से बीच में आ गयी। वो बॉस तुम्हारी हर बात मानते है न इसलिये। प्लीज़। अगर इतना ख़ास मसला न होता तो मैं जोर नहीं देता। इतना तो अब मुझे समझने लगी ही होगी तुम? "

" क्या मतलब? तुम फ्लर्ट कर रहे हो मेरे साथ। शादीशुदा हो, कुछ तो शर्म करो मिस्टर आकाश। "रिया ने आँखें तरेरते हुए कहा।

" अब तुम परेशान करना बंद करोगी"आकाश ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा।

" अरे, श्योर... मैं तो मजाक कर रही थी। पर यह तो बताओ मसला क्या है? "

" यार... वो कैसे बोलूँ?

"ऐसे शर्मा रहे हो जैसे पहली बार अपनी गर्लफ्रेंड मिलने पर शर्माती है। ऐसी भी क्या बात है? "रिया कॉफी गटकाते हुए बोली।

"हाँ"..... हँसते और झेंपते हुए...." यार वो मैं, प्रेग्नेंट हूँ"

"क्या...." रिया के हाथ से कॉफी का मग छूटते-छूटते बचा। ऑफिस में सब उन दोनों को देखने लगे।

" रिया.... प्लीज़... मैं ।"आकाश अपनी बात समझाने की कोशिश कर ही रहा था कि तभी टेबल पर रखा फोन बज उठा।

"जी सर... फाईल मैंने आपको अभी कम्प्लीट डिटेल के साथ मेल कर दी है। ओके सर गीव मी टेन मिनिट्स।"

"देखो आकाश मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। लंच टाईम में बात करते हैं। अभी अगर बॉस को ये डिटेल बना कर नहीं दी तो मेरी नौकरी पर आ जाएगी और मेरी नौकरी मेरा पहला प्यार है तो प्लीज़.."

"ओके मैं मैसेज कर देता हूँ... वही ठीक रहेगा। "

रिया अपने काम में व्यस्त हो गयी और आकाश ने अपनी बात रिया को मैसेज कर दी। 

आकाश का मन काम में नहीं लग रहा था। बस कम्प्यूटर पर स्क्रीन को स्क्रोल कर रहा था। 

" सर.. सर... आपको बड़े सर बुला रहे है। "

हैं... हाँ, ठीक है, आता हूँ।" 

थोड़ी देर बाद अपनी डेस्क पर लौट कर आकाश चहकते हुए रिया से कहता है," यार तुम तो बहुत फास्ट हो... सर ने मुझे टेन डेज की छुट्टी दे दी है जिसमें से मैं सेवन डेज वर्क फॉर्म होम रहूँगा। पर ठीक है। आई एम हैप्पी।" 

"चलो, अब बताओ बात क्या है? दस दिन की छुट्टी और इतनी घबराहट। सब ठीक तो है न।" 

"हाँ, वो सब ठीक है। नीशा का सातवां महीना चल रहा है। कुछ दिन बाद उसके मम्मी - पापा आ रहे है, गोद भराई की रस्म कर के वह मायके चली जाएगी और मुझे पूरे चार महीने अकेले बिताने होंगे। सोच कर ही दिल बैठ सा जाता है। फिर उसके साथ मेरी बेटी खुशी भी जाएगी। सूना हो जाएगा मेरा आंगन और मन। "

ओए.!होए...! जनाब आशिक मिजाज हुए जा रहे है... ।" 

"आकाश तुम बीवी को लेकर इतना इमोशनल और प्रोटेक्टिव तो कभी नहीं थे। असल बात क्या है? मुझे तो बता सकते हो। मै निशा को नहीं बताने वाली।"

 

"एक कसक है। जब खुशी के वक्त निशा प्रेग्नेंट थी तब मैंने उसे बहुत इग्नोर किया। उसका ख्याल नहीं रखा। उसे जिस प्यार और परवाह की जरूरत थी वह मैने नहीं दी। ऐसा नहीं है कि यह सब मैने जान बूझ कर किया था। पर उस वक्त इतनी समझ नहीं थी। मेरी मम्मी ने भी कभी नहीं समझाया कि मुझे ऐसे समय में निशा का किस तरह ख्याल रखना चाहिए। मेरा भी पहला ही अनुभव था। पर जब तुम प्रेग्नेंट थी और ऑफिस में मैं और बाकी पूरा स्टाफ जिस कदर तुम्हारा ख्याल रखते थे। तब अहसास हुआ कि मेरी निशा तो इन सबसे मुश्किल और महत्वपूर्ण समय में अकेली रह गयी।

बहुत बार वह अकेले बाजार गयी। स्कूल जॉब भी करती थी वह। सोच कर बहुत बूरा लगता है कि अगर उस वक्त कोई अनहोनी हो गयी होती तो क्या मेरी खुशी मेरे साथ होती। और एक औरत की जिदंगी का सबसे मुश्किल पर सबसे खुबसूरत वक्त भी यही होता है। एक औरत को इस समय प्यार और केयर की बहुत जरूरत होती है। और इसी वक्त हम लापरवाह हो जाते है। जबकि हमारे ही वंश को आगे बढ़ाने के लिए वह तत्पर होती है और हम ही अपनी ही संतान के लिए कष्ट उठाने से कतराते है।

वक्त कभी लौट कर नहीं आता रिया। वो पल वो लम्हें मैं चाह कर भी उसे लौटा नहीं सकता। पर हाँ इस बार पिछली बार रह गयी हर कमी की भरपाई जरूर कर सकता हूँ।इसके बाद मौका मिले न मिले।"

 कुछ देर तक दोनों बिल्कुल चुप पड़ गये। किसी से कुछ कहते न बना। चुप्पी को तोड़ते हुए आकाश बोला," तो मैडम यह लो टिश्यू और अपने आँसू पौंछ लो जल्दी - जल्दी वरना किसी ने देख लिया तो सवालों की झड़ी लग जाएगी। "

 

आँसू पौंछते हुए रिया ने एक टिश्यू आकाश की तरफ बढ़ा दिया और दोनों ही रोते-रोते हँसने लगे।

 

दोस्तों जिदंगी हमें दूसरा मौका जरूर देती है अपनी भूलों को सुधारने का। बस यह हम पर है कि उस मौके को हम गवां देते हैं या उसका पूरा फायदा उठाते ह

अनामिका अनु

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