एक रंग हो सच्चा सा
एक ढंग हो अपना सा
जो घुल मिल जाए
एक दूजे में
हो ऐसा निर्मल सा।
जो कर दे बेसुध और
उबरने न दे मोह पाश से,
हो ऐसा प्रेम अनोखा सा।।
एक रंग जो अपनी
छटा बिखेरे
एक रंग जो अपना
एहसास फैलाए।
एक रंग जो भीगो दे
अपनेपन से।
एक रंग जो सोख ले
नफरतों के साये।
एक रंग जो सभी में मिल जाए
एक रंग जो काली घटा बरसाए।
प्रेम की तपिश में
सब रंग छिटक आएं।
जब तुम, तुम न रहो
और मैं, मैं न रहूँ
तुम रंग जाओ मेरे ही रंग में
और मैं तुम सी दिखूँ,
भेद सारे मिट जाए
ऐसा सुंदर प्रेम हो हमारा
श्वेत रंग सा
नेह हो हमारा।
अनामिका अनु
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर है पेपरविफ में स्वागत😍💝
धन्यवाद प्रिये
बहुत खूबसूरत लिखा अनु 💕
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