Akshita Shukla
Akshita Shukla 19 Jul, 2021
बारिश
वो बारिश की बूंदे और उन बूंदों मे भीगा मेरा अंगना। वो कागज की किश्ती लिए बच्चे और हमारा बूंदों की ताल पर थिरकना। मानो कल की ही बात थी जब बारिश एक त्योहार लगता था और सावन प्यार की बरसात लगता था। चलो आज फिर से झूमते है पकोड़ो को बनाने के बहाने ढूंढते है।

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by akshitashukla

19 Jul, 2021

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