शीर्षक : वास्तविक स्मृति ( हटाना / परिवर्तन)

परिवर्तन संसार का नियम है। जैसे - तमश का रोशनी में। कटु का मृदु में । भ्रष्टाचार का शिष्टाचार में।

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Akhilesh  Upadhyay
Akhilesh Upadhyay 10 Aug, 2020 | 1 min read
#paperwiff #REALITY#


विषम परिस्थितियां ; जिसमें हजारों स्मृतियों को हम हटा/मिटा रहे है या फिर उसकी विशिष्टताओं को प्रदर्शित कर रहे है ...

 कुछ सजगता से समझा जा सकता है ।

बात सिर्फ स्मृतियों को मिटाने या हटाने की नहीं होती बल्कि उसका कारण जानने में कितनी सजीवता है, ये बात निर्भर करती है।।

आज भले ही हम वयस्कता की श्रेणी में हैं लेकिन पुस्ताकक्षरो में संयोजित शब्दों को निहित वक्रता का अनुभव कराने में तथा उसमें विकृत मानसिकता को हटाने में सहृदय कठिनाई महसूस होती है।

एक कथित चित्रण प्रस्तुत है - 

कहने को तो सारी दुनिया आपके साथ होती है लेकिन कभी आपने ये सोचा कि !      

  आज तक मैं किसके साथ हूं?  

 विचार में डूब गए ना ...?

" फिर तो आपकी नईया के... राम जी ही खेवैया "! 

आपने तो विश्वास की सीढ़ी ही उल्टे पैर चढ़ ली , इसका अर्थ हुआ आप ऊंचाई तक तो पहुंच गए लेकिन अपनी वास्तविक स्वरूप को वहीं नीचे छोड़ आए ।

उल्टे पैर पहुंच कर भी आप ...उस भीड़ को नहीं झेल पाएंगे जो सीधे पैरों से आपको रौंदती चलती जाएंगी; 

"उल्टे पांव चलना आसान है किन्तु विचलित होने पर संभलना उतना ही मुश्किल।

मिटा दिया ना ...सब कुछ जो कभी आपकी पहचान हुआ करती थी।

हटा दिया ना... उन फटी हुई परदों को जिनसे आपकी वास्तविकता दिख ना पाती हो ।।

याद रखना ...अपनी गलतियों को समेटना सीखो ! 

गलतियों को परिवर्तित किया जा सकता है ना कि पूर्ण रूपेण मिटाया जा सकता है ।

 गलतियां तो किसी न किसी रूप में सामने आएगी ... जरूरत है आप उसे समेट ले , और मौका मिलने पर उसे सुधार में परिवर्तन कर सके।।।


धन्यवाद् ✍🏻✍🏻✍🏻


~Akhilesh upadhyay 

@_just_akhi_

@crux_of_akhil

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Akhilesh Upadhyay

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    ✍️✍️🙏🏻🙏🏻

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