( शिक्षक दिवस पर विशेष )✍️✍️✍️
गुरु शब्द अनमोल है , नाम सखा निज काम ।
आतुर भयो विलोप मन , सखा श्याम उपनाम ।।
काही को मन मुट होत है , परम पूज्य गुरु ईश ।
उचित प्रलोभन देत अजी... करत विचार प्रतीत ।।
धरहु उर निज अन्तर्ध्यान ...गुरु बिनु होत न काज ।
हरहु शोक ,भय इव उलझन ...बिनु गुरु न कोई समान।।
ज्ञान बिखेरत ...स्वार्थ न दूजा , कृपा करहि भव साज़।
तिन के लोभ - प्रलोभ नहि, गुरु शब्द भगवान् ।।
ध्यान - मान कर चल पड़ा , त्याग प्रशस्त इव सींच।
सुरभित चित-मन सब जे प्रति , निरत निति समभाव ।।
गृणन तेज़...विप्र-निषक यथा ; शुद्घाचार गुरुत्व।
तमपिह गुरु विद्याक्षु , गुरु इव प्रीत निधान ।।
प्रथम गुरु ... पितृ नाम ही , अद्भुत भानु समान।
सेवा-भाव की मूरत मां!; गुरु द्वित मान- महान।।
पूर्णता की कामना ... बिनु गुरु न कोई प्रमाण।
तामसिकता , आसक्ति गर्व ; परे करें गुरु प्रधान।।
धन्यवाद्।✍🏻✍🏻✍🏻
🙏🏽शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं।।🙏🏽
~Akhilesh upadhyay
@crux_of_Akhil
@_just_akhi_
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