मित्रता एक एहसास...

मित्रता एक एहसास.... एक नई ज़िन्दगी ....

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Akhilesh  Upadhyay
Akhilesh Upadhyay 23 Jul, 2020 | 1 min read

भावनात्मक रिश्ता कायम रखना और उस पर सहजता से अमल करना हर एक के वश में नहीं होता ...फिर चाहे आप महापुरूष की श्रेणी में ही क्यों न हो।

 शुरुआत में प्रकाश की किरण आपको आकर्षित करती हुई प्रतीत होती है लेकिन शायद ! आपको यह ज्ञात नहीं होता है कि आप उसके तीव्र प्रकाश की किरण को खुद में समेट पाएंगे या नहीं ।

इस सृष्टि में न कोई किसी का प्रिय है और न ही अप्रिय है; किन्तु जो अनन्य भाव से इसमें परिपूर्ण होता है ...वही एक मात्र रिश्ता कहलाता है ।

विचारों की इसी कल्पित रचनाओं को ध्यान में रखकर पवित्रता की अग्नि परीक्षा में सफ़लता के बाद ही उदय होता है ये रिश्ता ... जिसमें रक्त संबंध होने या ना होने का प्रलोभन देकर कोई भी आपके विचारो को समझकर निश्चलता पूर्वक भावनाओ से प्रेम करने लगे ।

कुछ ऐसी ही कश्मकश में उदित हमारी कहानी हुई ...

बचपन की यादों को समेटना जहां इतना आसान नहीं होता वही हम कुछ ऐसी यादों को बनाने में कामयाब होते गए ।

विद्यालय की कक्षा से प्रारंभ और बुढ़ापे की लाठी पर ख़तम हो कुछ ऐसी यादों को सजाने ,संवारने की हम दोस्तो ने कसमें खाई।

हा.. हा.. हा...!

उम्र में कच्चे होते हुए भी हम अपने रिश्तों को पक्का / सुदृढ़ करने में यकीन रखते थे...

इसके लिए हम अपनी मित्रता को सबसे बढ़कर मानते थे ।

उनकी वो शरारतें जिसमें कहीं ना कहीं मुझे भी आनंद की पराकाष्ठा महसूस हुआ करती थी ...हमेशा शरारतों के बीच वो भाईचारा ,एक दूसरो के प्रति चेतना व्यक्त करना ।

" ज़िन्दगी के साथ भी ज़िन्दगी के बाद भी" मानो ! हमने अपना जीवन बीमा करवा लिया था एक दूसरे के नाम ...

एक काला , दूजा गोरा ,तीसरा दिव्यांग और चौथा जो कभी भी रोने लगता था ....बहुत याद आते है अब मुझे ।

उनके साथ बिताए वो पल जिसमें हमने बड़ी से बड़ी समस्याओं का पल भर में निपटारा कर दिया ।

आज इन सब बातों पर गौर करना मेरी मनोचित दशा को बारिश की बूंदों के समान तथा सूर्य की पहली किरन कि भांति शान्ति का नुमायन करती है।

अब हम बड़े हो गए है ... और आज वो दिन फिर से आएगा जब हम चारों साथ होंगे ....बादलों के छत के नीचे काले तकियों के बीच हमारी ज़िन्दगी ने ये एहसास करवाया हमें ;

बिना सच्चे दोस्तो के हम कुछ नहीं .... एक दूसरे की कमी ....हमारे बीच दूरियां....!

सब कुछ है हमारे पास लेकिन बस किसी एक ऐसे की कमी है जो दूर होने पर पास होने का एहसास दिलाए....

सोचना सही नहीं होगा ... क्योंकि आज भागदौड़ भरी इस जिंदगी में कुछ भी पहले जैसा नहीं हो सकता है, 

बेशक !.....

 हम एक दूसरे से सामाजिक बंधन से जुड़े हो लेकिन एक ऐसा परिवार जो कभी पहले हमें चाहिए था ... जो हमने कसमे खाई थी वो मुझे मुझे घूर घूर कर देखा करते है कि....

कब वो वक़्त फिर से आएगा जब हम एक ही छत के नीचे पैर पसारे बातें कर पाएंगे ; एक दूसरे से अपनी आपबीती , सुख - दुःख साझा कर पाएंगे।।

सुबह होते ही फिर से हम वहीं मिलेंगे जहां हमने एक दूसरे को गत दिनों छोड़ा था।

वही सुकून....और सूखे बादलों के पेट से चिलचिलाती हुई धूप की वो पहली लाल रंग की... शीतल जल की एक बूंद की समान वो अद्भुत नजारा , जहां 02 पहाड़ों के बीच से गान करती हुई... 

         हवा की वो मधुर तान गुंजन भरी आवाज में..... (सर्र.........र ..र ..र ..र.. ..र ..र ..र र ...सायं..सायं..... ) मेरे अन्तर्मन को फिर से बचपन की यादों को ताज़ा कर देंगे ।।

एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर इस नजारे पर बहश छेड़ते हुए ....अपनी छोटी सी खुशी को और ज्यादा बड़े पैमाने पर लाने की कोशिश करेंगे ....

देखते ही देखते सब कुछ पहले जैसा हो जाएगा.....................

          (   कुछ क्षणों के लिए  )

हम फिर से एक बार बातों ही बातों अपना बचपन वहीं जी लेंगे ।


(अलार्म बजने लगा - सुबह 05:17 ) 

ओह !!! 

क्या ये सपना था .....! 


खुद को थप्पड़ मारते हुए बड़बड़ाया मैंने.......…..…

अज़ीब सी दुनिया है दोस्ती , जिसमें बार - बार कई बार एक नया किरदार निभाने का दिल करता है।।।

सुबह की ट्रेन और उसमे मेरे सपनों में हुई घटनाओं के सहारे मैं अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचा।

काम करते ...करते सारी ज़िन्दगी ...

          यूं ही निकल जाएगी ;

काश ! कभी मेरा सपना सच हो जाए 

तो ये तिसनगी भी एहसास बन जाएगी।।


धन्यवाद् । ✍🏻✍🏻✍🏻

_______________________________

Akhilesh upadhyay

@_just_akhi_

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Akhilesh Upadhyay

akhileshupadhyay

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    आपकी कलम को नमन।👌👌शानदार लिखते हैं आप। उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ

  • Sushma Tiwari · 4 years ago last edited 4 years ago

    कमाल लिखते है आप 👏👏

  • Akhilesh Upadhyay · 4 years ago last edited 4 years ago

    कुमार संदीप भैया ..... दिल से धन्यवाद आपका ।

  • Akhilesh Upadhyay · 4 years ago last edited 4 years ago

    सुषमा दीदी .... आपका मार्गदर्शन मेरे लिए बहुत ही लाभप्रद रहा । आशा करता हूं , आप इसी तरह हमसे हमेशा जुड़ी रहेंगी । आपकी ही वजह से मुझे इतना हौसला आया ।।।।। धन्यवाद आपका!!!

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