Akhilesh Upadhyay
24 Jul, 2020
भीगी बरसात और छतरी
बरसात भी भीगी हुई होगी , दानिस्ता!
छतरी तो जैसे तब्बस्सुम जहर का घेरा था।
हम तो मारुफ़ होने में मुसलसल थे,
नींद टूटी मेरी , सपना उसका अधूरा था।
Paperwiff
by akhileshupadhyay
24 Jul, 2020
जहरीली बरसात और उसपे छतरी , ज़रा सोचो छतरी आधी टूटी हुई हो ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.