कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
छोड़ो बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना
कुछ तो लोग कहेंगे..
सुनते ही कुछ गहरे तक कुरेद गया।
पिछले साल मैं अपने पति के साथ कंपनी के एक इवेंट के सिलसिले में मुम्बई के एक बड़े होटल में गयी थी। इवेंट में शामिल होने वाला हर स्पीकर अंग्रेज़ी में ही बात कर रहा था। दर्शक भी आपस में अंग्रेज़ी में ही बात कर रहे थे। मैने हिन्दी में कहा कि मुझे पानी चाहिए वेटर से लेकर अगल बगल तक सब मुझे हेय दृष्टि से देखने लगे।तभी वहा पर स्पीकर के तौर पर एक महोदय शामिल हुए और उन्होंने अपनी आधी से ज़्यादा बात हिंदी में रखी। लोग चौंके, फिर उनकी बातों पर तालियां पीटने लगे। अब हिंदी में बोलने वाला उनका बॉस था।और मेरे सामने लोगो की दोहरी मानसिकता ।अपनी मातृभाषा में बात करने से नज़दीकियां झलकती है ये आवाज मेरी बगल की टेबल से आई और मैने पलट के देखा और अपने पति से कहा
"I don't know why people about only concern about english.it is not necessary that the person who speaks English is having knowledge"
भाषाओं का ज्ञान बहुत आवश्यक हैं अंग्रेजी भाषा आना अच्छी बात है पर अपने देश मे ही हम हिंदी पर शर्म महसूस करे ये तो सही नही।
और मुझे किसी की बातों से फर्क नही पड़ता
कुछ तो लोग कहेंगे कहने दीजिये।
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