दोगलापन

A poetry about different behaviour of human being about animals.

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Ajay goyal
Ajay goyal 02 May, 2022 | 1 min read
My_funda

पंछियों की तरह उड़ना चाहते हो,

पर पंछियों को रखना चाहते हो पिंजरे में बंद,

बड़े दोगले हो तुम।

वफादारी चाहते हो कुत्ते की तरह,

पर देते हो गालियां कि 'बड़े कुत्ते हो तुम'

बड़े दोगले हो तुम।

मेहनत करवाना चाहते हो तुम गधे की तरह,

पर बोलते हो कि 'गधे हो तुम'

बड़े दोगले हो तुम।

कहां से लाते हो इतना दोगलापन जरा बताओ मुझे,

कहां से आती है इतनी अमानवीयता तुममें,

बड़े खोखले हो तुम।

जानवर की रुह वाले इंसान,

बड़े दोगले हो तुम।




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Ajay goyal

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