Kuch to log kahenge

A poem about my dreams.

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Ajay goyal
Ajay goyal 04 Dec, 2023 | 1 min read

मैं वर्तमान में जीता हूं, मैं अपनी हद में रहता हूं

मुझे अपने काम से मतलब है, मैं सबसे बस यह कहता हूं

मैं दिल की सुनूं , मैं सपने बुनूं

दिल चाहे जिसे,मैं उसको चुनूं

कोई कहें स्वार्थी अगर मुझे

मुझे नहीं उससे कुछ लेना देना है

क्योंकि...

कुछ तो लोग कहेंगे....

लोगों का काम तो कहना है।

मैंने देखे थे जो सपने

मेरे सपने बड़े थे

लेकिन बनकर दीवार

मेरे अपने खड़े थे

तू काबिल नहीं

तुझमें दम भी नहीं

तेरी राह की तो

मंज़िल ही नहीं 

पर ठान लिया

मैंने मान लिया 

जीतूंगा मैं ही

कहो जिसे जो भी कहना है

क्योंकि

कुछ तो लोग कहेंगे

लोगों का काम तो कहना है।


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