भारत मां के वीर सिपाही, खेले अपनी जान पे
कर दे अपनी जान न्योछावर, दाग ना आए आन पे
पहने केसरिया बाना, और लेकर हाथ तिरंगा
बोले हम हैं भारतवासी, बहें जहां पर गंगा
दुश्मन अपनी खैर मनाना, वार न करना मान पे
भारत मां के...
टूटे चाहे यह तन सारा, छोड़े ना हम आशा
हम हैं यारों हिंदुस्तानी, हिंदी अपनी भाषा
रहे सलामत वतन यह अपना, हो जाए कुर्बान रे
भारत मां के...
खड़ा हिमालय ताने सीना, जैसे वीर सिपाही
चरण चूमता हिंद यह अपना, भारत की परछाई
कश्मीर में दिल है बसता, यह है अपनी जान रे
भारत मां के...
भिन्न भिन्न है वेश यहां पर, भिन्न भिन्न भाषाई
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सब है भाई भाई
सब अपने न कोई पराया, यह है अपनी शान रे
भारत मां के...
शब्दार्थ:-
1. हिंद - हिंद महासागर
2. भाषाई - विभिन्न भाषाओं को बोलने वाले लोग
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